आज के समय में हमारा भारत देश भले ही लोकतांत्रिक गणराज्य है, जहां संविधान के अनुसार शासन चलता है लेकिन आजादी से पहले ऐसा नहीं था. साल 1947 भारत की आजादी से पहले, यहां लगभग 500 रियासतें थीं, जिनका शासन राजा महाराजाओं के अनुसार चलता था. अंग्रेजों से आजादी मिलने के बाद, भारत ने राजशाही व्यवस्था को हटाकर लोकशाही शासन व्यवस्था लागू करने का फैसला किया, जिस वजह से राजाओं के राज चले गए और उनकी रियासतों को राज्यों में मिला लिया गया. भले ही आज भारत में राजाओं के राज खत्म हो गए हैं लेकिन आज भी देश में कई ऐसे परिवार मौजूद हैं जिन्हें लोग सम्मान से ‘राजघराने’ कहते हैं. 1947 के बाद राजशाही की कानूनी शक्ति खत्म हो गई, लेकिन इन परिवारों की परंपरा, विरासत और प्रतिष्ठा आज भी उतनी ही चर्चा में रहती है. कई राज्यों में, ये पूर्व राजा और महाराजा अभी भी राजनीति में मुख्य रूप से सक्रिय हैं. भारत के राजघरानों की अपनी अलग प्रतिष्ठा है, लेकिन राजस्थान इसमें सबसे अलग और महत्वपूर्ण है. राजस्थान के शाही राजघराने सबसे प्रमुख है. आज भी हमें उनका इतिहास, संस्कृति और प्रभाव आसानी से देखने को मिलता है.
मेवाड़ राजघराना
मेवाड़ राजघराना भारत के सबसे प्रमुख और प्रतिष्ठित राजघरानों में से एक है. राजस्थान के उदयपुर की मेवाड़ राजवंश, राजपूती शौर्य और गौरव का प्रतीक है. इस राजवंश का सम्बन्ध परम प्रतापी राजा महाराणा प्रताप के वंश से है, जिन्होंने अपनी आखरी सांस तक मुगलों के खिलाफ युद्ध किया. आज के समय में, मेवाड़ राजघराने के संरक्षक डॉ. लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ हैं, जो स्वर्गीय राणा अरविंद सिंह मेवाड़ के बेटे हैं. आज मेवाड़ की शाही सीट उदयपुर है, जिसे “लेक सिटी” भी कहा जाता है. यहां मौजूद सिटी पैलेस, शिव निवास, फतेहप्रकाश पैलेस और लेक पैलेस, आज पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र हैं. इनमें से कई महल आज लग्जरी होटल बन गए हैं, जिसका संचालन मेवाड़ राजघराना करता है. लक्ष्यराज सिंह मेवाड़, जो मेवाड़ रियासत के दीवान हैं, उनके परिवार में उनकी पत्नी और उनके तीन बच्चे हैं.
जोधपुर का शाही परिवार
राजस्थान, राजाओं की भूमि है, जहां बड़े बड़े राजाओं और योद्धाओं ने जन्म लिया. इसमें सबसे प्रमुख राजघराना है जोधपुर का मारवाड़ शाही परिवार. नीले शहर जोधपुर की पहचान सिर्फ उसके किले और महलों से नहीं, बल्कि उसके शाही घराने राठौड़ राजवंश से भी जुड़ी है. यह घराना अपनी युद्ध कौशल, अनुशासन और सांस्कृतिक धरोहर के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध है. मेहरानगढ़ किला, उम्मेद भवन पैलेस और मारवाड़ी परंपराएं, आज भी इस घराने की शान को जीवित रखती हैं. जोधपुर राजघराने के सबसे प्रमुख इंसान हैं महाराजा गज सिंह द्वितीय, जो अपनी पत्नी महारानी हेमलता राजे और अपने बेटे युवराज शिवराज सिंह के साथ उम्मेद भवन पैलेस में रहते हैं.
बड़ौदा का गायकवाड़ राजवंश
बड़ौदा का गायकवाड़ राजवंश मराठा शासक पृष्ठभूमि से आता है, और इसकी नींव 18वीं सदी में पड़ी थी; इस परिवार का स्वर्णकाल महाराजा सयाजीराव गायकवाड़ तृतीय के शासन के दौरान माना जाता है, जिन्होंने शिक्षा, महिला सशक्तिकरण, पुस्तकालय, पार्क, विश्वविद्यालय और सामाजिक सुधार के काम किए. वर्तमान में, गायकवाड़ घराने के प्रमुख समरजीतसिंह गायकवाड़ हैं, जो लक्ष्मी विलास पैलेस में रहते हैं, जबकि परिवार की नई पीढ़ी रिशभ, यशराज और अन्य सदस्य, व्यापार, खेल, राजनीति और सामाजिक सुधार जैसे कामों में अपनी भूमिका निभा रहे हैं. करीब 25–30 सदस्यों वाला यह परिवार, आज भी बड़ौदा की शाही विरासत को बनाए रखे हुए है.
वाडियार राजघराना
वाडियार साम्राज्य भारत के सबसे प्रतिष्ठित और शक्तिशाली राजघरानों में से एक है, जो अपने वैभव और अपने गौरवशाली इतिहास के लिए पूरी दुनिया में जाने जाते हैं. आज के समय में, यदुवीर कृष्णदत्त चामराजा वाडियार मैसूर शाही परिवार के 27वें संरक्षक या मुखिया हैं. वह 2013 में अपने पति श्रीकांतदत्त नरसिम्हाराजा वाडियार के निधन के बाद, प्रमोदा देवी वाडियार द्वारा गोद लिए गए बेटे हैं. वाडियार परिवार में मुख्य रूप से चार सदस्य हैं: वरिष्ठ सदस्या प्रमोदा देवी, मुखिया यदुवीर, उनकी पत्नी त्रिशिका कुमारी और उनके बेटे आद्यवीर.
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