India Population Reaches in Billion: संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (UNFPA) की मंगलवार (10 जून) को जारी ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, भारत 2025 तक अनुमानित 1.46 अरब लोगों के साथ सबसे ज्यादा आबादी वाला देश बना रहेगा. हालांकि, देश की कुल फर्टिलिटी रेट 2.1 से घटकर 1.9 रह गई है.
2025 विश्व जनसंख्या आंकड़ा (SOWP) रिपोर्ट बताती है कि असली संकट जनसंख्या के आकार में नहीं, बल्कि लोगों के स्वतंत्र और जिम्मेदारी से यह तय करने के ज्यादातर में आने वाली व्यापक चुनौतियों में है कि वे बच्चे चाहते हैं या नहीं, कब चाहते हैं और कितने बच्चे चाहते हैं.
रिपोर्ट में क्या कहा गया है?
संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट का अनुमान है कि "भारत की वर्तमान जनसंख्या 1,463.9 मिलियन है." रिपोर्ट में कहा गया है, "भारत अब दुनिया का सबसे ज्यादा आबादी वाला देश है, जिसकी आबादी लगभग 1.5 बिलियन है. यह संख्या गिरने से पहले लगभग 1.7 बिलियन तक बढ़ने की उम्मीद है."
भारत में कुल फर्टिलिटी रेट (टीएफआर) वर्तमान में प्रति महिला 2.0 बच्चे हैं. इसका मतलब है कि औसतन, भारत में एक महिला से उसके प्रजनन सालों (आमतौर पर 15-49 साल की आयु) के दौरान 2 बच्चे की उम्मीद की जाती है. सैंपल रजिस्ट्रेशन सिस्टम (एसआरएस) की 2021 की रिपोर्ट के मुताबिक, यह दर 2020 से स्थिर बनी हुई है.
फर्टिलिटी रेट में दर्ज की गई गिरावट- रिपोर्ट
हालांकि, नई रिपोर्ट में दिखाया गया है कि फर्टिलिटी रेट घटकर 1.9 बच्चे प्रति महिला हो गई है. इसका मतलब है कि औसतन भारतीय महिलाएं इतने कम बच्चे पैदा कर रही हैं कि यह बिना माइग्रेशन के अगली पीढ़ी में जनसंख्या के आकार को बनाए रखने के लिए पर्याप्त नहीं है.
धीमी जन्म दर के बावजूद, भारत की युवा आबादी महत्वपूर्ण बनी हुई है, जिसमें 0-14 आयु वर्ग में 24 फीसदी, 10-19 में 17 फीसदी और 10-24 में 26 फीसदी हैं. जबकि, 68 फीसदी आबादी 15-64 आयु वर्ग की है, बुजुर्ग आबादी (65 और उससे ज्यादा) सात फीसदी है.
79 साल में दोगुनी हुई जनसंख्या- रिपोर्ट
2025 के हिसाब से जन्म के समय जीवन प्रत्याशा पुरुषों के लिए 71 साल और महिलाओं के लिए 74 साल होने का अनुमान है. संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट में भारत को मध्यम आय वाले देशों के समूह में रखा गया है, जो तेजी से डेमोग्राफिक बदलाव से गुजर रहा है. यहां जनसंख्या दोगुनी होने का अनुमान अब 79 साल है.
यूएनएफपीए भारत प्रतिनिधि एंड्रिया एम. वोजनार ने कहा, "भारत ने फर्टिलिटी रेट को कम करने में महत्वपूर्ण प्रगति की है, जो 1970 में प्रति महिला लगभग पांच बच्चों से आज लगभग दो बच्चों तक हो गई है. यह बेहतर शिक्षा और प्रजनन स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच के कारण हुआ है." वोजनार ने कहा, "इससे मातृ मृत्यु दर में बड़ी कमी आई है."