करीब 200 साल के राज के बाद अंग्रेजों ने भारत और पाकिस्तान को दो देशों में विभाजित किया था. भारत आज दुनिया में सबसे तेज ग्रोथ करने वाली इकोनॉमी में से एक है, उसने जापान जैसे देश को पीछे छोड़ दिया है तो वहीं हमारा पड़ोसी देश IMF के रहम-ओ करम पर जिंदा है. हालांकि पाकिस्तान में कुछ शहर ऐसे हैं, जिसके हालात भारत के मुंबई और दिल्ली जैसे शहरों की तरह अच्छे हैं. वहां के लोगों के पास खूब पैसा है. चलिए, आपको पाकिस्तान के उसी शहर के बारे में बताते हैं और यह भी आपको बताते हैं कि भारत ने पाकिस्तान के उस शहर को अपने में क्यों नहीं शामिल किया था. 

कराची और लाहौरपाकिस्तान का सबसे ज्यादा कमाई वाला शहर कराची शहर है. कराची पाकिस्तान का सबसे बड़ा शहर है, इसके अलावा यह पाकिस्तान का सबसे अमीर शहर भी माना जाता है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, कराची, पाकिस्तान की जीडीपी में 75 बिलियन डॉलर का योगदान करता है जो इसे देश का फाइनेंशियल और ट्रेड सेंटर बनाता है.

कराची पोर्ट दुनिया के सबसे फेमस पोर्ट में से एक है, जो पाकिस्तान के इंपोर्ट और एक्सपोर्ट को संभालता है. कराची का स्टॉक एक्सचेंज भी पाकिस्तान का सबसे बड़ा स्टॉक एक्सचेंज है. कराची के बाद लाहौर का नम्बर आता है यह पाकिस्तान के अमीर शहरों में से एक है. यह शहर पर्यटन के साथ कपड़ा, स्टील, दवाइयां और इलेक्ट्रॉनिक्स इंडस्ट्री के लिए जाना जाता है. 

इस शहरों को भारत ने क्यों नहीं किया शामिल टू नेशन थ्योरी के पैरोकारों का मानना था कि धर्म के आधार पर भारत के दो हिस्से हों. वायसराय लॉर्ड माउंटबेटन ने घोषणा करते हुए कहा कि देश को हिंदू और मुस्लिम क्षेत्रों में विभाजित किया जाएगा. कराची उस समय सिंध प्रांत का हिस्सा था और सिंधु प्रांत में मुस्लिम आबादी बहुसंख्यक थी, जिसके चलते यह शहर पाकिस्तान का हिस्सा बना.

आजादी के बाद यह शहर पाकिस्तान की राजधानी के तौर पर चुना गया. हालांकि बाद में 1947 में पाकिस्तान की पहली राजधानी भी बना हालांकि बाद में रावलपिंडी और फिर इस्लामाबाद राजधानी स्थानांतरित हुई. पहले यह पश्चिमी पाकिस्तान (आज का पाकिस्तान) में स्थित था और भारत से बिल्कुल अलग-थलग पड़ता इसलिए भारत ने इसे अपने में शामिल नहीं किया और ऐसा करना मुमकिन भी नहीं था.

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