Active Volcano: भारत अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए काफी ज्यादा मशहूर है. यहां आपको राजसी पहाड़ से लेकर शांत समुद्र तट तक सब कुछ देखने को मिलेगा. लेकिन आज हम आपको बताने जा रहे हैं अंडमान सागर की एक ऐसी जगह के बारे में जो काफी अलग है. हम बात कर रहे हैं अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के हिस्से बैरन द्वीप में स्थित दक्षिण एशिया की एकमात्र सक्रिय ज्वालामुखी की. आइए जानते हैं इस ज्वालामुखी के बारे में.
कहां पर है यह ज्वालामुखी
बैरन द्वीप, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह की राजधानी पोर्ट ब्लेयर से लगभग 140 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. यह द्वीप भारतीय और बर्मी टेक्टोनिक प्लेटों की सीमा पर बसा है. लगभग तीन वर्ग किलोमीटर में फैला बैरन द्वीप ज्यादातर ज्वालामुखी शंकुओं और राख से ढका हुआ है. दूर से देखे तो यहां पर हरियाली कम दिखाई देती है.
ज्वालामुखी गतिविधि का इतिहास
इस ज्वालामुखी में पहली बार 1787 में विस्फोट हुआ था. तब से इस ज्वालामुखी में रुक रुक कर सक्रियता देखने को मिली है. इसमें 1991, 2005, 2017 और 2022 में मामूली विस्फोट दर्ज किए गए हैं. हालांकि ज्यादातर विस्फोट हल्के ही होते हैं लेकिन उन्होंने द्वीप के भूभाग को आकार दिया है.
वन्य जीव और अस्तित्व
कठोर परिस्थितियों के बावजूद भी यहां पर जीवन कायम है. ज्वालामुखी के ढलानों पर बकरियां, चूहें और कबूतरों की कुछ प्रजातियां पाई गई हैं. ऐसा कहा जाता है कि बकरियां बंगाल की खाड़ी में एक जहाज के मलबे के जरिए पहुंची और द्वीप पर मीठे पानी के झरनों की बदौलत जीवित रही हैं.
भारत में ज्वालामुखी
हालांकि बैरन द्वीप सक्रिय बना हुआ है लेकिन इसके अलावा भारत में कोई सक्रिय ज्वालामुखी नहीं है. कुछ जगहों में निष्क्रिय या विलुप्त ज्वालामुखी हैं. लेकिन उनमें से किसी में भी बैरन द्वीप जैसी गतिविधि देखने को नहीं मिलती. यह द्वीप पूरी तरह से निर्जन है लेकिन इसके बावजूद भी अंडमान और निकोबार प्रशासन इस द्वीप पर कड़ी निगरानी रखता है. यह जगह सिर्फ एक दर्शनीय स्थल नहीं है बल्कि वैज्ञानिक अनुसंधान के लिए भी एक काफी जरूरी जगह है. टेक्टोनिक प्लेट सीमा पर स्थित यह द्वीप ज्वालामुखी निर्माण, टेक्निक गतिविधि और द्वीप विकास के बारे में काफी ज्यादा जानकारी देता है, जो बहुमूल्य होती हैं. हर विस्फोट वैज्ञानिकों को इस जगह में सक्रिय ज्वालामुखियों को और बेहतर तरीके से समझने के लिए डेटा प्रदान करता है.