Agni Prime Missile: रेल आधारित मोबाइल लॉन्चर से अग्नि प्राइम मिसाइल के सफल परीक्षण के साथ भारत ने एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है. इस सफलता के बाद भारत के रक्षा क्षेत्र में काफी फायदा होगा. पहले मिसाइल लॉन्च सिर्फ एक निश्चित स्थानों तक ही सीमित थे. लेकिन अब रेल आधारित लॉन्चर के साथ भारत अपने रेलवे नेटवर्क के जरिए लगभग किसी भी स्थान से मिसाइल को तैनात कर सकता है और साथ ही हमला भी कर सकता है. लेकिन सवाल यह उठता है कि इस तकनीक को विकसित करने के लिए क्या ट्रेन को बड़ा बनाया गया या फिर मिसाइल छोटी की गई. आइए जानते हैं.
कैसे हुआ यह मुमकिन
दरअसल भारत ने अग्नि प्राइम मिसाइल को ट्रेन के साथ जोड़ने के लिए इसके आकार में थोड़ी सी छेड़छाड़ की. आपको बता दें कि मिसाइल को रेल प्रणाली में फिट करने के लिए विशेष रूप से बड़ी ट्रेन की जरूरत नहीं थी. इसके लिए अग्नि प्राइम मिसाइल को पहले की तुलना में थोड़ा छोटा और हल्का बनाया गया. इसे एक विशेष रूप से इंजीनियर किए गए कंटेनर में रखा गया. यह कंटेनर रेल आधारित मोबाइल लॉन्चर से आसानी से परिवहन और लॉन्च करने की सुविधा देता है.
रेंज और तैनाती के फायदे
इस मिसाइल की रेंज 2000 किलोमीटर तक है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस उपलब्धि के लिए डीआरडीओ और सशस्त्र बलों को बधाई थी और उनकी प्रशंसा की. इस मिसाइल से रेलवे ट्रैक की सुविधा की वजह से काफी रणनीतिक लाभ होने वाले हैं. भारत अपने सफल परीक्षण के बाद अमेरिका और रूस जैसे रक्षा शक्तियों के एक खास समूह में शामिल हो गया है.
रेल आधारित प्रणाली का फायदा
इस प्रणाली से कई रणनीतिक लाभ मिलेंगे. सबसे पहले तो क्योंकि यह हल्की मिसाइल है तो इसे देश भर में जल्दी से ले जाया जा सकता है. साथ ही यह देखने में एक आम रेलगाड़ी जैसी लगती है तो इससे दुश्मनों को भ्रमित करना आसान होगा. इसी के साथ इसके लॉन्च स्थल का आसानी से अनुमान नहीं लगाया जा सकता.
उन्नत तकनीक और मारक क्षमता
इस मिसाइल में अगली पीढ़ी की तकनीकी शामिल हैं. इसमें आधुनिक प्रणोदन प्रणाली, कंपोजिट रॉकेट मोटर केसिंग और नेविगेशन सिस्टम है. अग्नि 3 मिसाइल के मुकाबले कम से कम 50% हल्का होने की वजह से इसे ट्रांसपोर्ट करने में काफी ज्यादा आसानी होगी.
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