देश में आगामी कुछ महीनों में 18 वीं लोकसभा का चुनाव होने वाला है. फर्स्ट टाइम वोटर को लेकर चुनाव आयोग ने कुछ महीने पहले ही 'मेरा पहला वोट देश के लिए' अभियान शुरू किया था. इसका उद्देश्य चुनावों में युवाओं की भागीदारी को बढ़ावा देना है. लेकिन क्या आपको पता है कि आजाद भारत के सबसे पहले वोटर कौन थे. आज हम आपको बताएंगे कि आजाद भारत के पहले वोटर कौन थे और वो किस राज्य में रहते थे. 


देश के पहले वोटर


देश के पहले वोटर श्याम सरण नेगी थे. बता दें कि श्याम सरण नेगी ने 25 अक्टूबर 1951 को पहली बार मतदान किया था और वे आजाद भारत के पहले वोटर बने थे. देश की आजादी के बाद फरवरी 1952 में भारत में पहला आम चुनाव हुआ था. जिसमें उन्होंने सबसे पहला वोट दिया था.


श्याम सरण नेगी


श्याम सरण नेगी का जन्म जुलाई 1917 में किन्नौर के कल्पा में हुआ था. जानकारी के मुताबिक वो 10 साल की उम्र में स्कूल गए थे, जहाँ उनकी पांचवीं तक की शिक्षा पूरी हुई. इसके बाद उन्होंने अपनी पढ़ाई के लिए रामपुर जाने का निर्णय किया था. रामपुर जाने के लिए उन्हें पैदल तीन दिन लगते थे. उन्होंने अपनी नौवीं कक्षा तक की पढ़ाई रामपुर में पूरी की थी. लेकिन उम्र ज्यादा होने के कारम 10वीं कक्षा में उन्हें प्रवेश नहीं मिला था. जिसके बाद श्याम सरण नेगी ने 1940 से 1946 तक वन विभाग में वन गार्ड की नौकरी की थी. इसके बाद वो शिक्षा विभाग में चले गए थे और  कल्पा लोअर मिडल स्कूल में अध्यापक बने थे.


कैसे बने थे आजाद भारत के पहले वोटर


दरअसल कल्पा जनजातीय जिले का हिस्सा है. वहां बर्फबारी होने से पहले ही मतदान प्रक्रिया होती थी. इस चुनाव में श्याम सरण नेगी ने सबसे पहले वोट डाला था. बता दें कि देश में फरवरी 1952 में पहला लोकसभा चुनाव हुआ था, लेकिन किन्नौर में भारी हिमपात के कारण पांच महीने पहले सितंबर 1951 में ही चुनाव हो गए थे. उस वक्त श्याम सरण नेगी किन्नौर के मूरंग स्कूल में अध्यापक थे और चुनाव में उनकी ड्यूटी लगी थी. उन्होंने सुबह वोट डालकर ड्यूटी पर जाने की इजाजत मांगी थी. इसके बाद वे सुबह-सुबह मतदान स्थल पहुंचे और 6:15 बजे मतदान ड्यूटी पार्टी पहुंची थी. इसके बाद श्याम सरण नेगी के निवेदन पर उन्हें सबसे पहले वोट देने की इज़ाज़त मिली थी. इस तरह श्याम सरण नेगी आजाद भारत के पहले मतदाता बने थे. 


आखिरी मतदान


बता दें कि 106 साल की उम्र में श्याम सरण नेगी का निधन 5 नवंबर 2022 के दिन हुआ था. उन्होंने अपनी मृत्यु के दो दिन पहले 2 नवंबर 2022 के दिन हिमाचल प्रदेश विधानसभा के लिए आखिरी मतदान डाक मतपत्र के जरिए अपने घर से किया था. 


 


ये भी पढ़ें: क्या है ‘एक देश एक चुनाव’ का आइडिया, जानें इससे देश को क्या होगा फायदा