देश के कई बड़े शहरों में रात को रौशनी की चमक बढ़ रही है. मॉल्स, बाजार और सड़कें रातभर जगमग रहती हैं. लेकिन एक चौंकाने वाला तथ्य सामने आया है कि जिन इलाकों में रात को ज्यादा रौशनी होती है, वहां दिन में अपराध की घटनाएं भी बढ़ रही हैं. हाल ही में एक अध्ययन में यह खुलासा हुआ है कि रात की चकाचौंध अपराधियों के लिए दिन में सक्रिय होने का एक कारण बन रही है.
बड़े शहरों में अपराध ज्यादा
बड़े महानगर जैसे दिल्ली, मुंबई, और बेंगलुरु, जहां रात में नाइटलाइफ और चकाचौंध (बार, क्लब, और बाजार) अधिक है. वहां अपराध दर सामान्यतः अधिक देखी गई है. आईआईटी खड़गपुर के अध्ययन में पाया गया कि रात के समय कृत्रिम रोशनी, जो आर्थिक गतिविधियों और शहरीकरण का संकेतक है, वहां अपराध दर ज्यादा देखी गई है. विशेष रूप से 1% की आर्थिक असमानता (रात की रोशनी के माध्यम से मापी गई) में वृद्धि से अपराध दर में 0.5% की वृद्धि होती है.
दिल्ली में सबसे ज्यादा अपराध
रात की चकाचौंध वाले शहर, जैसे दिल्ली, मुंबई और बेंगलुरु जहां आर्थिक गतिविधियां और असमानता अधिक है, वहां अपराध दर भी अधिक देखी गई. उदाहरण के लिए, दिल्ली में प्रति लाख जनसंख्या पर 1,500 से अधिक संज्ञेय अपराध दर्ज हुए हैं. बड़े और चकाचौंध वाले शहरों में, जहां नाइटलाइफ (बार, क्लब, और बाजार) और आर्थिक गतिविधियां अधिक हैं, अपराध के अवसर बढ़ते हैं. यह अध्ययन 10 लाख से अधिक आबादी वाले शहरों पर केंद्रित है.
अपराध के प्रकार
रात की चकाचौंध वाले शहरों में चोरी, लूट, यौन अपराध और नशे से संबंधित अपराध अधिक होते हैं. यह नाइटलाइफ और भीड़-भाड़ के कारण अपराधियों को गुमनामी और अवसर प्रदान करता है. आर्थिक असमानता, जो रात की रोशनी से मापी जाती है हिंसक अपराधों (जैसे हत्या, डकैती) को भी बढ़ावा देती है. जब किसी शहर में लोगों के बीच आर्थिक असमानताएँ काफ़ी ज़्यादा होती हैं, तो इससे अपराध में वृद्धि होती है. कलकत्ता सुरक्षित शहरों में शामिल
अध्ययन में इस्तेमाल किए गए एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक दिल्ली में अपराध दर सबसे ज्यादा थी. यहां प्रति 1,00,000 लोगों पर 1,500 अपराध, इसके बाद कोल्लम, तिरुवनंतपुरम, भोपाल और ग्वालियर का स्थान था. वहीं दूसरी ओर, कलकत्ता सबसे सुरक्षित शहरों में से एक था. जहां प्रति 1,00,000 लोगों पर केवल 127 अपराध हुए, इसके साथ ही कन्नूर, मलप्पुरम, कोयंबटूर और हैदराबाद भी थे.
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