मेरठ के सौरभ राजपूत हत्याकांड में आरोपी पत्नी मुस्कान रस्तोगी इस समय जेल में बंद है. मुस्कान को लेकर खबर सामने आई है कि वह प्रेग्नेंट है और जल्द ही मां बनने वाली है. मुस्कान के अलावा भारतीय जेलों में ऐसी कई महिला कैदी हैं, जो या तो गर्भवती हैं या फिर उन्होंने जेल में ही बच्चे को जन्म दिया. ऐसे में सवाल है कि जेल में पैदा हुए बच्चे के बर्थ सर्टिफिकेट पर 'जन्म का स्थान' यानी बर्थ प्लेस क्या लिखा जाता है? क्या ऐसे बच्चे के बर्थ सर्टिफिकेट पर जेल का नाम लिखा जाता है? आइए जानते हैं इस बारे में कानून क्या कहता है...
बच्चे को मिलते हैं ये अधिकार
भारतीय कानून के मुताबिक, बच्चा चाहे जेल में पैदा हुआ हो या फिर जेल के बाहर, उसे माता-पिता के अपराधों की सजा नहीं मिल सकती है. ऐसे में जेल में पैदा हुए बच्चे को भी सामान्य बच्चे की तरह जीवन जीने से लेकर तमाम अधिकार प्राप्त हैं. उसे एक सामान्य बच्चे की तरह शिक्षा, स्वास्थ्य और सुरक्षा जैसे अधिकार प्राप्त होते हैं. भारतीय कानून कहता है कि जेल में पैदा हुए बच्चों के विकास की जिम्मेदारी जेल प्रशासन की होती है और इसके लिए जेल प्रशासन को पर्याप्त व्यवस्था करनी होती है.
बर्थ सर्टिफिकेट पर लिखा होता है जेल का नाम?
अब सवाल है कि क्या जेल में पैदा हुए बच्चे के बर्थ सर्टिफकेट पर जेल का नाम लिखा होता है. कानून के मुताबिक, बच्चे के जन्म से लेकर उसके बड़े होने तक उस पर जेल के महौल का प्रभाव नहीं पड़ना चाहिए, जिससे भविष्य में उसे किसी तरह की परेशानी हो. कानून के मुताबिक, जेल में गर्भवती महिलाओं को डिलीवरी के समय जिला अस्पताल में भर्ती कराया जाता है और वहीं पर बच्चे का जन्म होता है. ऐसे में बच्चे के बर्थ सर्टिफिकेट पर जिला अस्पताल का नाम होता है न कि जेल का.
जेलों में बंद हैं कई हजार महिलाएं
सरकारी डेटा के मुताबिक, भारत की कुल 1330 जेलों में 23,772 महिला कैदी बंद हैं1 इसमें से 1500 से ज्यादा महिलाएं ऐसी हैं जो अपने बच्चों के साथ जेल में रहती हैं. इन महिलाओं में से आधे से ज्यादा ने जेल में ही बच्चे को जन्म दिया है और इन सभी बच्चों के बर्थ सर्टिफिकैट पर जिला अस्पताल का नाम दर्ज किया गया है.
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