जरा सोचिए, अगर आसमान में चमकती एक रोशनी अचानक मौत का इशारा बन जाए तो क्या हो, और वो रोशनी सिर्फ एक शहर नहीं, पूरी धरती की किस्मत तय कर दे. यही सस्पेंस छिपा है उस सवाल में जो आज पूरी दुनिया के सामने है, अगर अमेरिका रूस पर परमाणु हमला करता है, तो रूस कैसे जवाब देगा? क्योंकि दोनों परमाणु संपन्न देश हैं, आइए जानते हैं.

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किसके पास ज्यादा परमाणु हथियार?

रूस और अमेरिका दोनों के पास दुनिया के सबसे ज्यादा परमाणु हथियार हैं. ताजा आंकड़ों के मुताबिक, रूस के पास करीब 5580 परमाणु वॉरहेड्स हैं, जबकि अमेरिका के पास लगभग 5,044. यानी किसी एक की गलती पूरी पृथ्वी को झुलसा सकती है. लेकिन इस डर के बीच एक दिलचस्प मोड़ ये है कि क्या व्लादिमीर पुतिन ने भारत जैसी नो फर्स्ट यूज यानी पहले हमला नहीं करेंगे की नीति अपनाई है?

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क्या है रूस की नीति?

भारत की ये नीति साफ कहती है कि अगर किसी देश ने हम पर परमाणु हमला नहीं किया, तो हम पहले ऐसा कदम नहीं उठाएंगे. यानी भारत तब ही जवाब देगा जब दूसरा देश पहले वार करे. अब माना जा रहा है कि रूस भी इसी रणनीति पर आगे बढ़ रहा है. दरअसल, रूस की 2020 की न्यूक्लियर डिटरेंस पॉलिसी में कहा गया है कि मॉस्को केवल तभी परमाणु हथियार का इस्तेमाल करेगा जब उसकी संप्रभुता या अस्तित्व को खतरा हो. यही वह बिंदु है जहां रूस की रणनीति भारत से मिलती-जुलती दिखाई देती है.

जब रूस ने यूक्रेन को दी चेतावनी

हाल ही में जब यूक्रेन युद्ध के बीच अमेरिका और NATO देशों ने रूस को चेतावनी दी, तो पुतिन ने साफ कहा था- हम पर हमला हुआ, तो जवाब ऐसा दिया जाएगा कि दुनिया ने पहले कभी नहीं देखा होगा. इस बयान ने फिर से उस डर को जिंदा कर दिया कि रूस के पास केवल परमाणु मिसाइलें नहीं, बल्कि हाइपरसोनिक न्‍यूक्लियर सिस्टम भी हैं, जो कुछ ही मिनटों में किसी देश तक पहुंच सकते हैं. 

अमेरिका के पास तीनों दिशाओं में हमला करने की क्षमता

अमेरिका के पास न्यूक्लियर ट्रायड यानी तीनों दिशाओं से हमला करने की क्षमता है- जमीन से, हवा से और पानी के नीचे से. जबकि रूस ने भी पिछले दशक में अपने डेड हैंड सिस्टम को सक्रिय रखा है. यह वह ऑटोमेटिक सिस्टम है जो अगर मॉस्को पर हमला हो जाए और सरकार नष्ट हो जाए, तो खुद-ब-खुद जवाबी परमाणु हमला शुरू कर देता है. यानी अगर अमेरिका रूस पर परमाणु हमला करता है, तो जवाब सिर्फ पुतिन नहीं, रूस की मशीनें भी देंगी.

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