बालों को साफ रखना और इनकी केयर करना बहुत जरूरी है. बाल हमारी पर्सनेलिटी का इंपॉर्टेंट पार्ट होते हैं. ऐसे में इनकी सफाई और देखभाल करने के लिए लोग इन्हें शैंपू से धोते हैं. लोगों की जरूरत के हिसाब से मार्केट में कई तरह के शैंपू अवेलबल हैं, जो बालों को डैमेज होने से बचाते हैं और इनका ख्याल रखते हैं.
लेकिन क्या आप का जानते हैं कि इस शैंपू को सबसे पहले कहां और कब बनाया गया था और इसकी शुरुआत कब हुई थी? तो आइए हम आपको बताएंगे कि कैसा रहा शैंपू का चंपी से शैंपू बनाने तक का सफर.
चंपू से कैसे बना शैंपू?
आपने कई लोगों को चंपी कराते देखा होगा. लेकिन ये बात बहुत कम लोग जानते हैं कि शैंपू शब्द हिंदी के इसी चंपू या चंपी से निकला है. इस शब्द का मतलब होता है सिर की मालिश करना. दरअसल, प्राचीन भारत में किसी तरह के केमिकल्स नहीं होते थे तो लोग बालों की सफाई के लिए नेचुरल तरीके अपनाते थे. इसमें वह नेचुरल जड़ी बूटियों और मेडिसिनल प्लांट्स के इस्तेमाल से बालों को धोते थे. इससे बाल घने, काले और चमकदार बने रहते थे.
पुराने समय में कौन इस्तेमाल करता था शैंपू?
पुराने समय में शैंपू बनाने के लिए नेचुरल चीजें जैसे- रीठा, शिकाकाई आंवला, भृंगराज, नीम और जड़ी बूटियों से बने लेप को बालों की सफाई और पोषण के लिए इस्तेमाल किए जाते थे. इस नेचुरल शैंपू का इस्तेमाल खासतौर पर अमीर लोग और राजघरानों की महिलाएं इस्तेमाल करती थीं. ये उस समय आम लोगों की पहुंच से थोड़ा दूर था इसलिए ज्यादा लोग इसे इस्तेमाल नहीं करते थे.
कहां हुआ था शैंपू का आविष्कार?
ऐसे में शैंपू की परंपरा विदेश में नहीं बल्कि सबसे पहले भारत में शुरू हुई थी. भारतीय आयुर्वेद में बालों की देखभाल के लिए तेल मालिश(चंपी) और हर्बल मिक्सचर का इस्तेमाल देखने को मिलता है, जो इस बात को सच साबित करता है. इतना ही नहीं भारत में ये परंपरा बाद में मुगलों ने भी अपनाई थी. उन्होंने बालों की सुंदरता बढ़ाने के लिए हर्बल शैंपू का इस्तेमाल किया था.
कैसे बना मॉडर्न शैंपू?
वैसे तो भारत में शैंपू की शुरुआत हुई लेकिन इसे बोतलबंद करने का काम विदेश में हुआ. साल 1927 में जर्मन इन्वेंटर हैंस श्वार्जकोफ ने लिक्विड शैंपू का इन्वेंशन किया और इसे पैक करके मार्केट में बेचना शुरू कर दिया. धीरे-धीरे ये एक कमर्शियल प्रोडक्ट बन गया और अलग-अलग कम्पनियों ने इसमें आर्टिफिशियल फ्रैगनेंस और केमिकल्स डालकर मॉडर्न शैंपू तैयार कर दिया.
इसे भी पढ़ें: सेंट्रल इंडिया की लाइफलाइन कहजाती है नर्मदा नदी, क्यों है बेहद खास