दुनिया के हर हिस्से में तनाव बढ़ता जा रहा है. रूस और यूक्रेन लंबे समय से जंग के मैदान में हैं. भारत और पाकिस्तान के बीच हाल ही में परमाणु युद्ध होते-होते बचा है. अब मिडिल ईस्ट गहरे युद्ध संकट में पहुंच चुका है. मिडिल ईस्ट का संकट दुनिया के लिए इसलिए भी चिंता का कारण है, क्योंकि इस जंग में अमेरिका की भी एंट्री हो गई है, जिससे इसका दायरा बढ़ सकता है. 

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दुनिया में अलग-अलग देशों के बीच जैसे-जैसे टकराव बढ़ रहा है, परमाणु युद्ध का खतरा भी बढ़ता जा रहा है. ऐसे में 'डूम्सडे क्लॉक' यानी प्रलय की घड़ी याद आना स्वाभाविक है. प्रलय की घड़ी, यानी एक ऐसी घड़ी जिसमें मध्य रात्रि के 12 बजते ही दुनिया में कयामत आ जाएगी. कहते हैं कि इस घड़ी में 12 बजने में कुछ सेकेंड ही बचे हैं. 

कयामत का वक्त बताने वाली सांकेतिक घड़ी

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Doomsday Clock कोई वास्तविक नहीं, बल्कि एक सांकेतिक घड़ी है. इसमें बताया गया समय दुनिया की मौजूदा परिस्थितियों का आंकलन करनके सेट किया जाता है. जैसे-परमाणु हमले का खतरा, जलवायु परिवर्तन, प्राकृतिक आपदाएं या अन्य विनाशकारी स्थितियां. इन परिस्थितियों के अनुसार ही इस घड़ी का समय बढ़ाया या घटाया जाता है. कहा जाता है कि जब इस घड़ी की सुईयां 12 बजाएंगी तो यह संकेत होगा कि दुनिया सबसे बुरे दौर से गुजर रही है और कयामत का समय आ गया है. 

कयामत आने में बचे हैं कुछ सेकेंड

डूम्सडे क्लास 1947 में बनाई गई थी, जिसके बाद से इस घड़ी का संचालन 'बुलेटिन ऑफ एटॉमिक साइंटिस्ट' ही करती है. जब यह घड़ी बनाई गई तो इसका समय 11:53 मिनट पर सेट किया गया था. इसके बाद से समय-समय पर इस घड़ी का टाइम बदला गया. यानी सोवियत संघ ने जब न्यूक्लियर टेस्ट किया था तो घड़ी का समय 11:57 मिनट पर सेट किया गया. अमेरिका के न्यूक्लियर टेस्ट के बाद घड़ी का समय 2 मिनट और बढ़ा दिया गया. इस तरह इस घड़ी में अब 12 बजने में बस 89 सेकेंड्स का ही समय बचा है. 

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