Z plus security: भारत में हाई प्रोफाइल व्यक्तियों की सुरक्षा व्यवस्था को खतरे की आशंका के स्तर पर आधारित अलग-अलग श्रेणियां में बांटा जाता है. इनमें से Z+ सुरक्षा सार्वजनिक हस्तियों को उपलब्ध सबसे खास सुरक्षा स्तर है.X, Z, Y+, Y और XI सुरक्षा की कुछ और श्रेणियां है. लेकिन आज हम बात करने जा रहे हैं कि आखिर यह Z+ सुरक्षा क्या है और इसमें किन जवानों को मौका दिया जाता है. आइए जानते हैं.
क्या है Z+ सुरक्षा
यह सुरक्षा किसी अलग-अलग प्रकार में विभाजित नहीं है. खुफिया एजेंसी द्वारा खतरे के गहन आकलन के बाद दी जाने वाली यह सुरक्षा एक खास और काफी ज्यादा स्पेशलाइज्ड श्रेणी है. सरकार द्वारा यह उन व्यक्तियों को प्रदान की जाती है जो राजनीतिक स्थिति, प्रभाव या सार्वजनिक जीवन में संवेदनशील भूमिकाओं की वजह से काफी ज्यादा जोखिम में है. भारत में सिक्योरिटी को अलग-अलग हिस्सों में बांटा गया है. जैसे X, Z, Z+, Y+, Y औरे XI. लेकिन इनमें Z+ सिक्योरिटी अपने पैमाने और जनशक्ति के लिए सबसे अलग है.
कितने जवान होते हैं तैनात
Z+सिक्योरिटी में आमतौर पर लगभग 55 जवान होते हैं. इनमें विशिष्ट कमांडो, पुलिसकर्मी और विशेष सुरक्षा अधिकारी शामिल होते हैं जो 24 घंटे सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए शिफ्ट में काम करते हैं. यह पूरा सुरक्षा दल, जिसे सुरक्षा दी गई है उस व्यक्ति के साथ पूरे भारत के साथ-साथ विदेशों में हर जगह जाता है.
कौन से जवान होते हैं शामिल
Z+ सुरक्षा किसी भी एक बल द्वारा नहीं संभाली जाती. बल्कि इसमें अलग-अलग तरह की इकाइयां शामिल होती हैं. इस सुरक्षा के केंद्र में लगभग 10 राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड कमांडो होते हैं जिन्हें आतंकवाद रोधी, निकट युद्ध और निहत्थे रक्षा में ट्रेनिंग दी जाती है. वह किसी भी तरह के खतरे से निपटने के लिए एडवांस हथियार और संचार प्रणालियों से लैस होते हैं.
इसी के साथ केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल, भारत तिब्बत सीमा पुलिस और केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बाल के कर्मियों को बाहरी घेरे की सुरक्षा और पूरे क्षेत्र की निगरानी करने के लिए तैनात किया जाता है. इसी के साथ स्थानीय पुलिस भीड़ को नियंत्रित और राज्य की खुफिया इकाइयों के साथ कोऑर्डिनेशन स्थापित करने के लिए काम करती है.
किसे मिलती है यह सुरक्षा
यह सुरक्षा उन व्यक्तियों को दी जाती है जिन्हें अपनी जान का खतरा होता है. इनमें प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति शामिल होते हैं. साथ ही अगर केंद्रीय मंत्री, मुख्यमंत्री और राज्यपाल उच्च जोखिम वाले खतरों का सामना कर रहे हैं तो उन्हें भी यह सिक्योरिटी दी जाती है. इसी के साथ बड़े उद्योगपति या फिर व्यवसायी जिन्हें अपने कद या विवादों की वजह से सुरक्षा का खतरा हो सकता है और साथ ही संवेदनशील मामलों से निपटने वाले उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश को भी यह सिक्योरिटी मिलती है.