एक अपराधी आखिरी कितनी बार ले सकता है पैरोल, जानें सजा के दौरान जेल से बाहर आने का क्या है नियम?
How Many Times Can Criminal Take Parole: बलात्कार और हत्या के मामले में राम रहीम को दोषी पाया गया था और उसे 20 साल की सजा दी गई है. वह 14वीं बाद पैरोल पर बाहर है. अपराधी आखिर कितने बार पैरोल ले सकता है.

हत्या और बलात्कार के मामले में दोषी डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख गुरमीत राम रहीम को एक बार फिर से 40 दिनों की पैरोल मिल गई है. इससे पहले अप्रैल 2025 में उसे 21 दिन की फरलो दी गई थी. 2020 से अब तक 14वीं बार ऐसा हुआ है, जब राम रहीम 14वां बार जेल से बाहर है. वह अब तक कुल 326 दिन जेल में बिता चुका है. राम रहीम को लगातार दी जा रही रिहाई पर सवाल उठ रहे हैं. पिछले वर्षों में नोटिस किया गया है कि उसे चुनावी समय के आसपास जेल से बाहर निकलने की अनुमति मिल जाती है. चलिए जानें कि एक अपराधी आखिर कितनी बार पैरोल ले सकता है और जेल से बाहर आने के लिए उसके लिए क्या नियम हैं.
कितने तरह की होती है पैरोल
पैरोल के लिए वैसे तो किसी तरह का कोई खास मापदंड तय नहीं किया गया है. पैरोल के लिए किसी भी तरह का अपराधी अप्लाई कर सकता है, जिनका कोर्ट में केस चल रहा है और उनको भी पैरोल मिल सकती है, लेकिन इसके लिए आखिरी फैसला कोर्ट तय करता है. भारत में पैरोल दो तरह की होती है, एक होती है कस्टडी पैरोल और दूसरी होती है रेगुलर पैरोल. कस्टडी पैरोल में अधिकतम छह घंटे की होती है और यह खास परिस्थितियों में ही दी जा सकती है.
पैरोल में कितने दिन का मिलता है वक्त
रेगुलर पैरोल ज्यादा वक्त के लिए होती है, इसमें कैदी को 30 दिन यानि कि पूरे एक महीने के लिए उसे रिहा किया जाता है. लेकिन रिक्वेस्ट के आधार पर इसे अधिकतम 90 दिनों यानि कि तीन महीने के लिए बढ़ाया जा सकता है, लेकिन ऐसा सिर्फ खास परिस्थितियों में ही होता है. दोषी पहले से प्राप्त की गई पैरोल के छह महीने बाद दोबारा से पैरोल के लिए प्रार्थना पत्र दे सकता है. वहीं फरलो की बात करें तो इस मामले में दोषी को पहली फरलो प्राप्त करने के एक महीने के बाद दोबारा फरलो के लिए प्रार्थना पत्र दे सकता है.
कोई कैदी कितनी बार ले सकता है पैरोल
अंतिम पैरोल लेने के छह महीने बीतने से पहले दोबारा से आपातकालीन परिस्थितियों में पैरोल का लाभ उठाया जा सकता है. जैसे कि दोषी की पत्नी के द्वारा बच्चे का जन्म, परिवार के सदस्यों की मृत्यु, बच्चों की शादी, किसी पारिवारिक सदस्य के गंभीर रूर से बीमार होने या फिर प्राकृतिक आपदा के संबंध में. दिल्ली जेल नियम 2018 की मानें तो आमतौर पर एक साल में दोषी को जेल के अंदर उसके कार्य और आचरण के आधार पर 3-4 महीने की छूट दी जा सकती है.
जेल से बाहर आने के नियम
किसी अपराधी के जेल में सजा के दौरान बाहर आने के दो मुख्य तरीके होते हैं. पहला होता है पैरोल और दूसरा है रिहाई. पैरोल एक अस्थायी रिहाई होती है, जबकि पूरी तरह से रिहाई तभी होती है, जब कैदी अपनी सजा पूरी कर लेता है. पैरोल के लिए कैदी को एक आवेदन देना होता है और इसे अदालत या फिर जेल प्रशासन के द्वारा मंजूरी देनी होती है. वहीं किसी कैदी की रिहाई तभी होती है, जब वह अपनी सजा पूरी कर लेता है.
Source: IOCL






















