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कितने राज्यों से गुजरती हैं अरावली की पहाड़ियां, कहां जमकर होता है खनन?

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कविता गाडरी   |  24 Dec 2025 01:54 PM (IST)

अरावली पर्वतमाला भारत के चार राज्यों और केंद्र शासित प्रदेश से होकर गुजरती है. इसका विस्तार दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान और गुजरात तक फैला हुआ है. कुल मिलाकर अरावली करीब 37 जिलों में फैली मानी जाती है.

अरावली पर्वतमाला

अरावली को लेकर देशभर में विवाद लगातार बढ़ता जा रहा है. दरअसल अरावली को लेकर सुप्रीम कोर्ट के नवंबर 2025 के फैसले के बाद देश के कई राज्यों में आक्रोश फैल गया है. सुप्रीम कोर्ट ने पर्यावरण मंत्रालय की सिफारिशों को मानते हुए अरावली पहाड़ियों की नई परिभाषा तय की है. जिसमें केवल 100 मीटर या उससे ज्यादा ऊंचाई वाली पहाड़ियां ही संरक्षित मानी जाएगी. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से राजस्थान के करीब 90 प्रतिशत हिस्से संरक्षण से बाहर हो सकते हैं. जिससे बड़े पैमाने पर खनन की आशंका भी बढ़ गई है. इसे लेकर लोग आंदोलन पर उतर आए हैं और अरावली बचाने के मुहिम चलाई जा रही है. ऐसे में चलिए आज हम आपको बताते हैं कि अरावली की पहाड़ियां कितने राज्यों से गुजरती है और कहां-कहां जमकर खनन होता है.

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चार राज्यों से होकर गुजरती है अरावली पर्वतमाला

अरावली पर्वतमाला भारत के चार राज्यों और केंद्र शासित प्रदेश से होकर गुजरती है. इसका विस्तार दिल्ली (एनसीटी), हरियाणा, राजस्थान और गुजरात तक फैला हुआ है. कुल मिलाकर अरावली करीब 37 जिलों में फैली मानी जाती है. इसकी लंबाई लगभग 600 से 700 किलोमीटर बताई जाती है और यह उत्तर पूर्व से दक्षिण पश्चिम दिशा में फैली हुई है. अरावली की शुरुआत दिल्ली से मानी जाती है, जहां से यह हरियाणा के गुरुग्राम, फरीदाबाद और नूंह जिले तक जाती है. इसके बाद यह राजस्थान में प्रवेश करती है, जहां इसका विस्तार सबसे ज्यादा है. राजस्थान से होते हुए यह लास्ट में गुजरात के कुछ हिस्सों तक पहुंचती है.

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राजस्थान में होती है सबसे ज्यादा खनन गतिविधियां

अरावली क्षेत्र में खनन का सबसे बड़ा केंद्र राजस्थान है. आंकड़ों के अनुसार अरावली से जुड़ी करीब 90 फीसदी खनन गतिविधियां राजस्थान में ही होती है. जहां जस्ता, सीसा, संगमरमर, ग्रेनाइट, चूना पत्थर और रॉक फॉस्फेट जैसे खनिजों का बड़े पैमाने पर खनन किया जाता है. वहीं उदयपुर का जावर क्षेत्र और भीलवाड़ा की रामपुरा आगुचा खदान जिसे दुनिया की सबसे बड़ी जिंक-सीसा खदानों में गिना जाता है, इसी इलाके में स्थित है. अलवर, जयपुर और राजसमंद जैसे जिले संगमरमर और ग्रेनाइट के लिए जाने जाते हैं. राजस्थान में खनन के जरिए राज्य को हर साल हजारों करोड़ रुपये का राजस्व मिलता है.

हरियाणा में अरावली का क्षेत्र कम लेकिन विवाद ज्यादा

हरियाणा में अरावली का क्षेत्रफल करीब एक प्रतिशत ही माना जाता है, लेकिन खनन को लेकर सबसे ज्यादा विवाद यहीं देखने को मिलते हैं. फरीदाबाद, गुरुग्राम और नूंह जैसे इलाकों में लंबे समय से अवैध खनन और निर्माण गतिविधियों के आरोप लगते रहे हैं. सरकारी आंकड़ों के अनुसार खनन से हरियाणा के राजस्व में बीते वर्षों में ज्यादा बढ़ोतरी हुई है. वहीं गुजरात में अरावली का विस्तार सीमित है लेकिन साबरकांठा जैसे जिलों में ग्रेनाइट, संगमरमर और चूना पत्थर का खनन किया जाता है. यहां खनन का दायरा राजस्थान जितना बड़ा नहीं है फिर भी इसका पर्यावरणीय असर नजर आता है.

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Published at: 24 Dec 2025 01:54 PM (IST)
Tags: Aravalli mining issue Aravalli Range Aravalli hills India Supreme Court Aravalli verdict
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