हमारे देश में विभिन्न जातियों और धर्मों के लोग रहते हैं. जो अलग-अलग जगहों पर काम करते हैं. कुछ जगहों पर तो जाति और धर्मों के हिसाब से आरक्षण दिया जाता है लेकिन हर कार्य में ये संभव नहीं हो पाता. वहीं बात यदि देश की सेना की होती है तो मन में उनके लिए सिर्फ सम्मान की नजर होती है. उस समय ये नहीं सोचा जाता है कि सेना में कितने जवान किस जाती और धर्म से आते हैं. हालांकि 2018 में लोकसभा में सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने लोकसभा में इसी को लेकर सवाल कर लिया था.


वहीं 2021 में लोकसभा में दिए गए जवाब में इसकी जानकारी मिलती है. गृह मंत्रालय ने केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (सीएपीएफ) में होने वाली भर्ती के बारे में जानकारी दी है.

BSF, ITBP और CRPF में हैं कितने मुसलमान?
लोकसभा में जब BSF, ITBP और CRPF में अल्पसंख्यकों के बारे में सवाल किया तो गृह मंत्रालय द्वारा दिए गए जवाब में कहा गया कि योग्यता आधारित चयन में धर्म कोई मापदंड नहीं होता. बी से लेकर डी तक, सशस्त्र बलों में भर्ती योग्यता पर आधारित होती है और समान रूप से सभी के लिए खुली है.

जवाब में आगे कहा गया कि देश के प्रत्येक नागरिक को जाति, पंथ, जनजाति या किसी भी आधार पर भेदभाव किए बिना सेना में भर्ती होने का अधिकार है. इसमें शर्त सिर्फ ये होती है कि उम्मीदवार निर्धारित आयु, शारीरिक, चिकित्सा और शैक्षिक मापदंड को पूरा करता है. इसके अलावा इस जवाब में "अग्निपथ योजना" के तहत भी उम्मीदवारों का चयन करने की बात कही गई थी.


औवैसी ने क्या कहा था?
2018 में सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने कहा था कि मीडिया में आई एक खबर में दावा किया गया था कि राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड्स (एनएसजी) में एक भी मुसलमान नहीं है. जब एक मीडियाकर्मी ने कहा कि केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों में भर्ती योग्यता के आधार पर होती है. उस वक्त ओवैसी ने कहा था कि बहुलतावाद देश की पहचान है जो हर जगह दिखनी चाहिए.


वहीं उन्होंने ये सवाल भी किया था कि राजग सरकार ने केंद्र सरकार के उपक्रमों में मुसलमानों को रोजगार मुहैया कराने के लिए कुछ ठोस नहीं किया है. सीआरपीएफ, सीआईएसएफ, आईटीबीपी, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक ये सभी केंद्र सरकार के अधीन हैं. मैं भारत सरकार से अनुरोध करता हूं कि वो कृपया आंकड़े पेश करें. 


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