पाकिस्तान में महात्मा गांधी की कितनी मूर्तियां हैं, जानिए इस देश के लिए क्या थे बापू के विचार?
Idols Of Mahatma Gandhi In Pakistan: कहा जाता है कि महात्मा गांधी की वजह से ही भारत और पाकिस्तान दो मुल्क हुए थे. ऐसे में यह जानना भी जरूरी है कि पड़ोसी मुल्क में गांधी की कितनी मूर्तियां लगी हैं.

15 अगस्त 1947 को जब भारत आजाद हुआ तो इसके साथ-साथ एक और आजाद मुल्क पाकिस्तान बना. पाकिस्तान इस्लाम के नाम पर बना था. कई लोगों का मानना है कि पाकिस्तान के बनने के लिए महात्मा गांधी ही जिम्मेदार हैं. वहीं कट्टर दक्षिणपंथी लोग मानते हैं कि मुस्लिमों के तुष्टिकरण के लिए महात्मा गांधी ने जिन्ना की मांग मान ली थी. गांधी पर हमेशा इस बात का आरोप रहा है कि वो मुस्लिम और पाकिस्तान के समर्थक रहे हैं. इसी क्रम में आइए जान लेते हैं कि पाकिस्तान में महात्मा गांधी की कितनी मूर्तियां लगी हैं और उनके पड़ोसी मुल्क को लेकर क्या विचार रहे हैं.
पाकिस्तान में गांधी की कितनी मूर्तियां
आमतौर पर गांधी जी सात बार पाकिस्तान गए थे, लेकिन इससे यह स्पष्ट नहीं हो जाता है कि वे जिन्ना या फिर पाकिस्तानी पॉलिटिक्स के समर्थक थे. उनकी नीति अहिंसा की थी. महात्मा गांधी की मूर्तियों की बात करें तो पाकिस्तान में महात्मा गांधी की दो मूर्तियां हैं और दोनों इस्लामाबाद में लगी हुई हैं. गांधी की की एक मूर्ति इस्लामाबद के भारतीय उच्चायोग के दफ्तर में लगी है, वहीं दूसरी मूर्ति पाकिस्तान के एक म्यूजियम में स्थित है. इस्लामाबाद के उच्चायोग दफ्तर में लगी मूर्ति उनके सम्मान का प्रतीक है.
कहां-कहां लगी हैं मूर्तियां
पाकिस्तान के म्यूजियम में लगी गांधी जी की मोम की मूर्ति है, जो कि मोहम्मद अली जिन्ना के साथ उनको दर्शाती है. यह पाकिस्तान के ऐतिहासिक संदर्भ में उनकी भूमिका को दर्शाती है. रिपोर्ट्स की मानें तो आजादी के बाद पाकिस्तान में महात्मा गांधी की कई मूर्तियां लगाई गई थीं, लेकिन बाद में उनको वहां से हटा दिया गया. कराची में स्थित एक नगरपालिका पार्क गांधी गार्डन के नाम से जाना जाता था, लेकिन बाद में इसका नाम बदल दिया गया था. कहा जाता है कि जिन्ना ने पाकिस्तान के लिए आवाज बुलंद की थी और इसी वजह से भारत-पाकिस्तान में काफी दंगे हुए. वहीं गांधी ने उन क्षेत्रों का दौरा किया और हिंसा को खत्म करने पर जोर दिया था.
पाकिस्तान को लेकर क्या सोचते थे गांधी
पाकिस्तान को लेकर गांधी जी के क्या विचार थे, यह स्पष्ट रूप से कह पाना तो थोड़ा मुश्किल है, लेकिन पूर्व केंद्रीय मंत्री एम जे अकबर की किताब 'गांधीज हिंदुइस्म: द सट्रगल अगेंस्ट जिन्नास इस्लाम' की मानें तो भारत की आजादी के बाद आजादी का पहला दिन महात्मा गांधी पाकिस्तान में बिताना चाहते थे. कहते हैं कि उनका यह कदम न तो प्रतीकात्मक था और न ही इस्लाम के नाम पर बने पाकिस्तान को समर्थन का इशारा था. किताब के अनुसार महात्मा गांधी नहीं चाहते थे कि भारत का बंटवारा हो. वह एक हिंदू थे और मानते थे कि सभी धर्मों को साथ रहना चाहिए. उन्होंने बंटवारे को एक क्षणिक पागलपन बताया था.
सपनों की दुनिया में रह रहे हैं हिंदू
महात्मा गांधी ने 1909 में लिखी अपनी किताब हिंद स्वराज में कहा था, अगर हिंदू यह मानते हैं कि वो एक ऐसी भूमि पर रहेंगे, जहां सिर्फ हिंदू ही रहें तो वे सपनों की दुनिया में रह रहे हैं. हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, पारसी सभी ने भारत को अपना देश बनाया है और वे सभी साथी देशवासी हैं. उन सभी को एकता के साथ रहना होगा.
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Source: IOCL





















