सोचिए, अगर आप लगातार जागते रहें, बिना सोए, बिना आराम किए तो पहले कुछ घंटे सब ठीक लगता है, लेकिन धीरे-धीरे शरीर जवाब देने लगता है, दिमाग लड़खड़ाता है और वास्तविकता धुंधली होने लगती है. वैज्ञानिकों के मुताबिक नींद की कमी सिर्फ थकान नहीं, बल्कि शरीर के हर अंग के लिए एक खामोश जहर है. सवाल यही है कि इंसान आखिर कितने दिन तक बिना नींद लिए जिंदा रह सकता है और कब यह थकावट मौत का कारण बन जाती है?

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कितनी घातक है नींद की कमी?

बढ़ते एयर पॉल्यूशन और भागदौड़ भरी जिंदगी में नींद अब एक विलासिता बन चुकी है. सड़कों पर जहरीली हवा, लगातार स्क्रीन पर नजरें और मानसिक तनाव, ये तीनों मिलकर हमारे नींद के पैटर्न को पूरी तरह बिगाड़ चुके हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि नींद की कमी शरीर के लिए उतनी ही घातक है जितनी कि जहरीली हवा?

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वैज्ञानिक कहते हैं कि जैसे स्वस्थ रहने के लिए हवा, पानी और भोजन जरूरी है, वैसे ही नींद भी उतनी ही अनिवार्य है. जब हम सोते हैं, तो हमारा शरीर खुद को रिपेयर करता है, डैमेज सेल्स ठीक करता है, मस्तिष्क टॉक्सिन्स साफ करता है और प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत बनाता है. अगर यह प्रक्रिया लगातार रुक जाए, तो शरीर धीरे-धीरे टूटने लगता है.

किसने बनाया लगातार न सोने का रिकॉर्ड

1964 में कैलिफोर्निया के एक छात्र रैंडी गार्डनर ने लगातार 11 दिन यानी 264 घंटे तक नहीं सोने का विश्व रिकॉर्ड बनाया था. इस दौरान उसने भयानक परिणाम झेले, जैसे बोलने में दिक्कत, भ्रम, याददाश्त की कमी और मिजाज में तेज बदलाव. डॉक्टरों ने पाया कि उसके दिमाग ने वास्तविकता से संपर्क खोना शुरू कर दिया था. इस घटना के बाद गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड ने नींद न लेने से जुड़े प्रयोगों को बंद कर दिया.

न सोने का शरीर पर असर

अगर कोई व्यक्ति लगातार 24 घंटे नहीं सोता है, तो दिमाग की कार्यक्षमता लगभग 25% कम हो जाती है. 48 घंटे बाद, व्यक्ति के सोचने और बोलने की गति धीमी हो जाती है. 72 घंटे के बाद, भ्रम और चिंता शुरू हो जाती है, और एक हफ्ते से ज्यादा नींद न लेने पर शरीर का इम्यून सिस्टम टूट जाता है, दिल की धड़कन अनियमित हो जाती है और मौत तक का खतरा बढ़ जाता है.

नींद की कमी से डायबिटीज, हार्ट डिजीज, हाई ब्लड प्रेशर, मोटापा, स्ट्रोक और डिप्रेशन का खतरा कई गुना बढ़ जाता है. WHO की रिपोर्ट के मुताबिक, नींद की कमी अब एक वैश्विक स्वास्थ्य संकट बन चुकी है. खासकर उन शहरों में जहां एयर पॉल्यूशन लगातार बढ़ रहा है, वहां नींद और भी प्रभावित होती है, क्योंकि जहरीली हवा शरीर में ऑक्सीजन की कमी करती है और मस्तिष्क को सही सिग्नल नहीं मिलने देती है.

नींद की कमी के लक्षण

नींद की कमी के लक्षण पहले मामूली लगते हैं, जैसे- थकान, ध्यान न लगना, आंखों में जलन. लेकिन यही धीरे-धीरे मूड स्विंग्स, कमजोर याददाश्त, और मानसिक विकारों में बदल सकते हैं. लंबे समय तक ऐसा चलने पर व्यक्ति में साइकोसिस, यानी भ्रम और भय की स्थिति तक आ सकती है. 

स्वस्थ रहने के लिए एक वयस्क को कम से कम 7-8 घंटे की नींद रोज लेनी चाहिए. सोने से पहले मोबाइल या लैपटॉप की स्क्रीन से दूरी, कमरे में अंधेरा और शांत माहौल बनाना और नींद के समय को नियमित रखना बेहद जरूरी है. क्योंकि नींद की कीमत सिर्फ थकान नहीं, बल्कि आपकी पूरी जिंदगी है.

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