नीले ड्रम में पति की लाश सीमेंट से दफन करने वाली मुस्कान रस्तोगी को तो आप जानते ही होंगे. दरअसल मेरठ जेल में बंद नीले ड्रम केस की मुख्य आरोपी मुस्कान रस्तोगी ने 24 नवंबर 2025 की शाम बेटी को जन्म दिया है. जेल प्रशासन के अनुसार डॉक्टरों ने मुस्कान की नॉर्मल डिलीवरी कराई. मां और बच्ची दोनों स्वस्थ हैं. हालांकि, यह भी बताया जा रहा है कि परिवार का कोई भी सदस्य मुस्कान की बेटी के जन्म पर हॉस्पिटल नहीं पहुंचा. वहीं जेल में बेटी को जन्म देने के इस मामले ने एक बार फिर सवाल खड़ा कर दिया कि जेल में पैदा हुए बच्चों का पालन-पोषण कैसे होता है? आज हम आपको बताते हैं कि जेल में पैदा हुए बच्चे का पालन-पोषण कैसे होता है और जेल में क्रेच कैसा होता है?
जेल में पैदा हुए बच्चे का कैसे होता है पालन-पोषण?
भारत में ज्यादातर जेलों में अब सीधे जेल के अंदर डिलीवरी नहीं कराई जाती है. दरअसल जेल में बंद महिला कैदी को प्रेगनेंसी के आखिरी स्टेज में अस्पताल ले जाया जाता है. वहीं डिलीवरी के कुछ हफ्तों बाद मां और बच्चे को वापस जेल लाया जाता है और महिला वार्ड में उनकी व्यवस्था की जाती है. इसके अलावा महिला कैदी का पहले से ही कोई छोटा बच्चा है तो महिला कैदी 6 साल से छोटे बच्चे को अपने साथ जेल में भी रख सकती है. ऐसे बच्चों को मदर सेल या महिला वार्ड के एक अलग हिस्से में रखा जाता है. दिल्ली की तिहाड़ और मंडोली जेल में भी इस समय कई बच्चे 6 साल से कम उम्र के रहते हैं. वहीं जेल में बंद इन बच्चों की रोज देखभाल होती है, इन्हें मेडिकल सुविधा और एजुकेशन भी दी जाती है.
क्रेच और एजुकेशन की सुविधा
ज्यादातर बड़ी जेलों में बच्चों के लिए क्रेच चलाया जाता है. जहां उन्हें प्री प्राइमरी एजुकेशन दी जाती है. यहां बच्चे खेल, ड्रॉइंग और म्यूजिक जैसी एक्टिविटी में शामिल होते हैं. ताकि उनका विकास सामान्य तरीके से हो सके. वहीं जेल में कई एनजीओ क्रेच में टीचर उपलब्ध कराते हैं. कई बार पढ़ी-लिखी महिला कैदियों को भी प्रशिक्षित कर यह जिम्मेदारी दी जाती है. इसके अलावा जेल के अंदर बने प्रमाणित वैक्सीनेशन सेंटर में बच्चों को बीसीजी, पोलियो, हेपेटाइटिस, डीपीटी और टिटनेस जैसी जरूरी वैक्सीन दी जाती है. साथ ही जेल में बंद मां और बच्चे दोनों की मेडिकल जांच समय-समय पर होती रहती है.
बच्चों के पोषण की व्यवस्था
जेल में पैदा हुए बच्चे या फिर मां के साथ रह रहे छोटे बच्चे को रोजाना दूध दिया जाता है और फलों की व्यवस्था भी की जाती है. ऐसे बच्चों का जेल में ही बर्थडे सेलिब्रेट किया जाता है. साथ ही बच्चों को खिलौने, कपड़े और हाइजीन किट भी दी जाती है. वहीं कानून के अनुसार बच्चा 6 साल की उम्र तक ही मां के साथ जेल में रह सकता है. इसके बाद जेल प्रशासन उसके रिश्तेदारों से संपर्क करता है. लेकिन अगर कोई भी रिश्तेदार बच्चों को नहीं लेना चाहते हैं तो उसे चाइल्ड केयर होम या अनाथालय में भेजा जाता है, जहां उसके भविष्य को लेकर आगे की व्यवस्था की जाती है.
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