टीवी पर संसद की कार्यवाही देखते समय आपके मन में भी ये सवाल उठता होगा कि क्या कोई आम इंसान संसद में जाकर संसद की कार्यवाही को लाइव देख सकता है. तो जवाब है हां, लेकिन कोई भी व्यक्ति बिना वैध पास के संसद में प्रवेश नहीं कर सकता. ऐसे में चलिए जानते हैं कि ये पास आखिर बनता कैसे है क्या और है इसकी प्रक्रिया?.

कहां बैठता है आम आदमी भारतीय संसद को लोकतंत्र का मंदिर माना जाता है. वहां की कार्यवाही को देखना कई लोगों का सपना होता है. लेकिन संसद में प्रवेश के लिए कुछ प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है. कोई भी व्यक्ति बिना वैध पास के संसद में प्रवेश नहीं कर सकता. संसद में जिस जगह बैठकर आम पब्लिक कार्यवाही को देखती है उसे पब्लिक गैलरी कहते हैं यह सदन के ऊपर की तरफ होती है और ऐसी ही यहां एक गैलरी होती है जिसका नाम प्रेस गैलरी है जहां मीडिया के लोग कार्यवाही को देख सकते हैं. संसद में एंट्री के लिए पब्लिक गैलरी का पास बनता है जिसे बनवाकर आप संसद की कार्यवाही को आसानी से देख सकते हैं.

कौन जारी करता है पासयह पास संसद सचिवालय द्वारा जारी किया जाता है, लेकिन इसके लिए आमतौर पर किसी सांसद की सिफारिश की आवश्यकता होती है. यदि आप अपने क्षेत्र के लोकसभा या राज्यसभा सांसद को व्यक्तिगत रूप से जानते हैं, तो वे आपके लिए यह पास बनवाने में मदद कर सकते हैं. सांसद अपने संसदीय क्षेत्र के लोगों, स्कूली बच्चों या समूहों के लिए पास की सिफारिश कर सकते है.

पास बनवाने की प्रक्रियापास बनवाने की प्रक्रिया शुरू होती है एक आवेदन पत्र से, जो संसद सचिवालय के सूचना कार्यालय में उपलब्ध होता है. इस फॉर्म में सांसद को आवेदक का विवरण देना होता है, जैसे नाम, पता और पहचान पत्र की जानकारी. यह पास आमतौर पर एक निश्चित समय अवधि, जैसे दो घंटे, के लिए वैध होता है और केवल एक बैठक के लिए जारी किया जाता है. प्रत्येक सांसद एक दिन में अधिकतम चार व्यक्तियों के लिए पास की सिफारिश कर सकता है. यदि समूह में प्रवेश की बात हो, तो इसके लिए अलग प्रक्रिया होती है. कैसे होती है एंट्रीसंसद में प्रवेश से पहले कड़ी सुरक्षा जांच होती है. संसद भवन के गेट पर डोर-फ्रेम मेटल डिटेक्टर और शारीरिक तलाशी के जरिए चेकिंग की जाती है. मोबाइल फोन और अन्य इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स को प्रवेश द्वार पर जमा करवाना पड़ता है. इसके बाद, यदि आप लोकसभा या राज्यसभा की कार्यवाही देखना चाहते हैं, तो आपको दर्शक दीर्घा में प्रवेश दिया जाता है. यह दीर्घा संसद के दोनों सदनों में मौजूद होती है, जहां से आम लोग कार्यवाही को लाइव देख सकते हैं. 

इसे भी पढ़ें- क्या था ISRO का पुराना नाम, बाद में किसने और क्यों कर दिया था चेंज?