नए संसद भवन में अखंड भारत की प्रतिमा लगाई गई है, जिस पर कई देशों ने विरोध जताया था. देश में कई ऐसे संगठन हैं जो समय-समय पर अखंड भारत की मांग करते रहते हैं और उनका सपना है कि देश एक दिन फिर से अखंड भारत बनेगा. फिलहाल, चलिए, आज हम आपको अखंड भारत के बारे में बताते हैं. अखंड भारत का अर्थ उस भारतवर्ष से है जिसकी सीमाएं प्राचीन काल में बहुत अधिक विस्तृत थीं. आज दुनिया के नक्शे पर कई ऐसे देश हैं जो पहले उस अखंड भारत में ही शामिल थे. आपको पाकिस्तान और बांग्लादेश के बारे में पता होगा, लेकिन सिर्फ ये दो देश ही नहीं बल्कि साल 1857 से 1947 के बीच कई देश अखंड भारत से टूटकर अलग हुए और अलग-अलग देश कहलाने लगे.

कौन कौन से देश टूटकर हुए थे अलग

चंद्रगुप्त मौर्य और सम्राट अशोक के काल में भारत की सीमाएं कई देशों तक फैली थीं. पहले के अखंड भारत को कुछ लोग अखंड हिंदुस्तान या विशाल भारत के रूप में मानते हैं. प्राचीन काल के भारत में अफगानिस्तान, बांग्लादेश, भूटान, मालदीव, म्यांमार, नेपाल, पाकिस्तान, श्रीलंका और तिब्बत जैसे देश शामिल थे. अखंड भारत से टूटकर अलग होने वाले देशों में पाकिस्तान और बांग्लादेश को प्रमुख माना जाता है. साल 1947 में भारत के विभाजन के बाद पाकिस्तान एक अलग देश बना. आजादी के बाद जब भारत और पाकिस्तान का बंटवारा हुआ तो आज का बांग्लादेश पहले पाकिस्तान का पूर्वी भाग हुआ करता था. इसे साल 1971 में एक अलग देश बांग्लादेश के तौर पर बनाया गया.  

कब कब अलग हुए देश 

सबसे पहले बात करते हैं अफगानिस्तान की तो 18वीं सदी में इसे अहमद शाह अब्दाली ने एक आजाद देश के तौर पर स्थापित किया. साल 1937 में अखंड भारत से आज के म्यांमार जो पहले बर्मा हुआ करता था उसको अलग कर दिया गया. नेपाल और भूटान भी अखंड भारत से टूटकर अलग हुए. 1814 से 1816 में गोरखा युद्ध के बाद नेपाल ने सिक्किम, कुमाऊं, गढ़वाल, तराई को ब्रिटिश भारत को सौंप दिया था. तिब्बत का कुछ हिस्सा पहले भारत के हिस्से में था लेकिन बाद में 1950 में चीन ने तिब्बत पर कब्जा कर लिया. आज ये देश भारत से अलग होने के बावजूद भी सांस्कृतिक, धार्मिक और ऐतिहासिक तौर पर भारतीय उपमहाद्वीप से जुड़े हुए हैं. 

इसे भी पढ़ें- कैसे बनता है कोई अलग देश, बलूचिस्तान को नया देश बनने के लिए कहां करना होगा आवेदन?