Everything Become Dark After Sunlight: सर्दियों के मौसम में धूप सेंकना किसे  पसंद नहीं होता है. हर कोई चाहता है कि वो अपने रोजमर्रा के ज्यादातर काम धूप में बैठकर करे, या फिर काम खत्म होने के बाद सुकून से धूप सेंके. वहीं गर्मियों में तो धूप बिल्कुल भी पसंद नहीं आती है. गर्मियों के दिनों में तो ज्यादा देर धूप में रहने से हीटस्ट्रोक, चक्कर आने जैसी बीमारियां होने लगती हैं. आपने कई बार नोटिस किया होगा कि जब भी ज्यादा तेज धूप से वापस छांव में आते हैं तो हमें सबकुछ अंधेरा-अंधेरा जैसा दिखने लगता है. कभी सोचा है कि आखिर ऐसा क्यों होता है. इसके पीछे साइंस है. इस आर्टिकल में आपको बताते हैं. 

क्यों होता है ऐसा

तेज धूप से जब भी आप अपने कमरे में आते हैं तो कुछ वक्त के लिए आपको अंधेरा दिखने लगता है. लेकिन कुछ देर के बाद सब नॉर्मल हो जाता है. सामान्य तौर पर ऐसा होता है. क्योंकि जब भी आप तेज धूप में होते हैं तो आंखों की पुतलियां छोटी हो जाती हैं. ऐसे में आप जब भी अंधेरे कमरे में जाते हैं या तेज धूप से कहीं भी छांव वाली जगह पर जाते हैं तो छोटी पुतली के कारण आपको अंधेरा अंधेरा सा नजर आता है. लेकिन कुछ ही पलों में आपकी पुतलियां फिर से बड़ी हो जाती हैं और आपको नॉर्मल दिखाई देने लग जाता है. 

इसके पीछे क्या है साइंस

इस बात के पीछे एक वैज्ञानिक कारण है. आंखों के पर्दे को रेटिना कहा जाता है, जिससे कि हम देख पाते हैं. रेटिना में दो तरह की सेल्स पाई जाती हैं, एक तो कोन शेप में वहीं एक होती है रॉड के शेप में. कोन शेप की सेल उजाले में काम करती है, वहीं रॉड शेप की सेल्स अंधेरे में काम करती है. इसीलिए जब आप ज्यादा उजाले से अंधेरे में आते हैं तो उस वक्त कोन शेप सेल्स काम करती है. वहीं जब सामान्य दिखने लगता है, तब रॉड शेप सेल्स एक्टिव हो जाती है.

इसलिए अब जब कभी भी आप उजाले से अंधेरे में आएं और आपको अंधेरा दिखे तो घबराने की जरूरत नहीं है. क्योंकि ये स्वाभाविक प्रक्रिया है और इसमें आंखों की कोई खराबी नहीं है. ये एक प्राकृतिक प्रक्रिया है, जो कि आमतौर पर सभी के साथ होती है.