Car AC Fuel Consumption: गर्मी के मौसम में अगर कहीं सफर पर जाते हैं तो कार का एसी बहुत गर्मी से बहुत राहत देता है. ऐसा कम ही होता है कि आप कार चलाएं और एसी ना चल रहा हो. हालांकि, कुछ लोग ऐसे भी होते हैं, जिन्हे लगता है कि एसी चलाने से गाड़ी ईंधन ज्यादा खाती है और इसीलिए वो लोग गाड़ी के शीश नीचे करके गाड़ी को तेज रफ्तार पर चलाते हैं. ऐसे में आइए जानते हैं कि एसी चलाने से गाड़ी के फ्यूल कंजप्शन पर क्या असर होता है. जब आप एसी ऑन करके गाड़ी चलाते हैं तो इससे कार का माइलेज प्रभावित होता है. लेकिन, कई लोगों का सवाल रहता है कि अगर गाड़ी चलाए ही ना और एसी ऑन रखें तो कार का फ्यूल किस हिसाब से खर्च होगा? आइए आज इन्ही सब सवालों के जवाब जानते हैं.

ऐसे चलता है कार का एसी

कार का एसी, अल्टरनेटर से मिलने वाली एनर्जी से चलता है और यह एनर्जी इंजन से मिलती है. इसके लिए इंजन को फ्यूल फ्यूल की जरूरत होती है. ऐसे में यह तो साफ हो जाता है कि एसी चलाने में गाड़ी का फ्यूल तो खर्च होता है. जब तक कार स्टार्ट नहीं होती तब तक AC भी ऑन नहीं होता है. AC कंप्रेसर से जुड़ी बेल्ट इंजन के स्टार्ट होने पर ही घूमती है. इससे ही एसी की बैट्री चार्ज होती है और फिर एसी काम करता है.

कार के माइलेज पर कितना असर होता है?

एसी का आपकी कार के माइलेज पर करीब 5 से 7 फीसदी का फर्क तो पड़ता ही है. हालांकि, कई रिपोर्ट्स में यह भी कहा जाता है कि एसी का गाड़ी के माइलेज पर ज्यादा असर नहीं पड़ता है. कई लोग शीशे डाउन करके एसी बंद करके गाड़ी चलाते हैं. दरअसल, होता क्या है कि जब कार के शीशे डाउन करके हाईवे पर तेज स्पीड में कार चलाते हैं तो इसका प्रभाव गाड़ी की स्पीड पर पड़ता है. इसका असर फ्यूल खर्च पर ज्यादा असर पड़ता है. इसलिए हाइवे पर अगर एसी ऑन करके गाड़ी चलाने पर माइलेज पर ज्यादा असर नहीं पड़ता है. वहीं, दूसरी ओर गाड़ी के शीशे डाउन करके तेज स्पीड में गाड़ी चलाने से बैलेंस बिगड़ने का भी खतरा रहता है.

खड़ी कार में एसी चलाए तो...

अलग-अलग रिपोर्ट्स के मुताबिक, अगर 1000 सीसी के इंजन को 1 घंटे तक ऑन रखने पर करीब 0.6 लीटर पेट्रोल खर्च हो जाता है. वहीं, अगर गाड़ी का एसी चलाकर गाड़ी को ऑन रखा जाए तो यह खर्च करीब दोगुना हो जाता है. ऐसे में एक घंटे का पेट्रोल खर्च करीब 1.2 लीटर तक हो सकता है. वैसे यह कार के इंजन पर भी निर्भर करता है. सामान्य हैचबैक कारों में यह खर्च 1 लीटर से 1.2 लीटर तक हो सकता है. गौरतलब है कि गाड़ी की कंडीशन, इंजन और एसी की स्थिति भी खर्च को घटाने-बढ़ाने में अहम कारक होते हैं. 

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