सांपों से लोगों का डर और उनके बारे में कई तरह की बातें हमारे आसपास बहुत समय से चली आ रही हैं. खासकर जहरीले सांप, जैसे कोबरा, की बात हो तो डर और हादसे  वाली कहानियां ज्यादा सुनने को मिलती हैं. कोबरा को दुनिया के सबसे खतरनाक और जहरीले सांपों में गिना जाता है. भारत में इसे उत्तर से लेकर दक्षिण तक हर जगह देखा जा सकता है. यह सिर्फ जहरीला ही नहीं बल्कि बहुत तेज दौड़ने वाला सांप भी है.

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कहा जाता है कि यह जमीन पर भी तेजी से दौड़ सकता है और पानी में भी तैर सकता है. वहीं कई बार कोबरा के काटने के बाद लोग बिना किसी मेडिकल इलाज के भी बच जाते हैं. यह देखकर कई लोग झाड़फूंक जैसे पारंपरिक इलाजों पर भरोसा करने लगते हैं. ऐसे मे चलिए जानते हैं कि कोबरा के काटने पर कई बार बिना इलाज लोगों की जान कैसे बच जाती है. क्या  इसके पीछे कोई लॉजिक है या झाड़फूंक साथ देता है. 

कोबरा के काटने पर कई बार बिना इलाज लोगों की जान कैसे बच जाती है

कोबरा एक खास प्रकार का व्यवहार करता है जिसे फॉल्स बाइट या झूठा काटना कहते हैं. इसका मतलब यह है कि जब कोबरा काटता है, तो वह हमेशा अपना जहर नहीं छोड़ता है. ऐसा इसलिए होता है क्योंकि कोबरा जरूरत से ज्यादा जहर छोड़ने से बचता है. जहर उसकी पाचन शक्ति को प्रभावित करता है और अगर वह जहर बहुत बार खो देता है तो उसे खाना पचाने में दिक्कत हो सकती है. इसलिए कई बार वह काटता जरूर है लेकिन जहर इंजेक्ट नहीं करता है. इस वजह से कई बार लोग कोबरा के काटने के बाद भी बिना किसी इलाज के ठीक हो जाते हैं. लोग इसे झाड़फूंक की वजह से होने वाली चमत्कारी इलाज समझते हैं, जबकि असल में ये फॉल्स बाइट की वजह से होता है. 

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इसके पीछे कोई लॉजिक है या झाड़फूंक साथ देता है

गांव-देहात के इलाकों में आज भी सांप के काटने पर झाड़फूंक कराने का चलन बहुत आम है. इसके पीछे एक बड़ा कारण है ये कि भारत में पाए जाने वाले लगभग 95 प्रतिशत सांप जहरीले नहीं होते यानी ज्यादातर सांपों के काटने से जानलेवा नुकसान नहीं होता है. ऐसे में जब कोई व्यक्ति गैर-जहरीले सांप के काटने के बाद झाड़फूंक करता है और वह ठीक हो जाता है, तो वह लोगों के मन में एक विश्वास बना देता है कि झाड़फूंक सचमुच काम करती है. 

ज्यादातर सांप के काटने के मामले गैर-जहरीले सांपों से जुड़े होते हैं. इसलिए जब लोग झाड़फूंक करते हैं और बच जाते हैं तो उनका विश्वास झाड़फूंक पर बढ़ जाता है. लेकिन जो जहरीले सांप होते हैं, उनके काटने के बाद झाड़फूंक करने से कोई फायदा नहीं होता, बल्कि इससे मरीज की जान को खतरा हो सकता है.  

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