सुबह सुबह कभी आप उठें तो देखेंगे कि बिजली के तारों या फिर पेड़ की डाल पर ढेर सारे पक्षी बैठे रहते हैं. कई की तो आंखें भी बंद रहती हैं, यानी वो सो रहे होते हैं. हालांकि, ऐसा नजारा देखने के लिए आपको सूरज उगने से पहले उठना होगा. अब ऐसे में सवाल उठता है कि ये पक्षी सोते हुए भी कैसे अपना बैलेंस बनाए रहते हैं और पेड़ की डाली से गिरते नहीं हैं. चलिए आज आपको इसी के बारे में बताते हैं. इसके साथ ही बताते हैं कि इसके पीछे कौन सा साइंस काम करता है?


कैसे नहीं गिरतीं चीड़िया?


एक्सपर्ट्स कहते हैं कि पक्षी जब सो रहे होते हैं तो वो अपनी दोनों आंखें नहीं बंद करते. बल्कि वो अपनी एक आंख खोल कर सोते हैं. दरअसल, पक्षी सोते समय अपनी एक आंख खोले रहते हैं और इसी खुली आंख की वजह से उनका आधा ब्रेन एक्टिव रहता है. इसी एक्टिव ब्रेन की मदद से वो डाली पर या तार पर अपना संतुलन बनाए रखते हैं. कुल मिलाकर कहें तो चीड़िया कभी भी पूरी तरह से नहीं सोती है, वो हमेशा आधी नींद में होती है. इसके साथ ही पक्षियों के पैर इस तरह से बने होते हैं कि वो जहां बैठती हैं उसे अच्छी तरह से जकड़े हुए होती हैं.


पूरी तरह से आंख खोल कर कौन से पक्षी सोते हैं?


अब तक के तमाम रिसर्च में यही बता चला है कि ज्यादातर पक्षी सोते वक्त अपनी आंखें बंद रखते हैं. हालांकि, उल्लू एक लौता ऐसा पक्षी है जो अपनी आंखें बंद करके सोता है. लेकिन वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखें तो ये भी सही नहीं होगा क्योंकि, उल्लू की एक या दो नहीं बल्कि तीन पलकें होती हैं. एक पलक झपकाने के लिए, दूसरा पलक आंखों की सफाई करने के लिए और तीसरा पलक सोने के लिए. इसलिए बाहरी पलक को गिराए बिना ही उल्लू अपनी अंदरूनी पलक के सहारे सो लेते हैं.


ये भी पढ़ें: दिल्ली में मिली 700 साल पुरानी सुरंग, जानिए किस मुगल राजा से जुड़ी है इसकी कहानी?