सुनीता विलियम्स के बारे में कौन नहीं जानता है. भारतीय मूल की सुनीता हाल ही में इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन में कुछ दिनों के लिए गई थीं. लेकिन किन्हीं कारणों से वह वहां फंस गई हैं. अभी तक ये क्लीयर नहीं हो पाया है कि सुनीता विलियम्स कब और कैसे धरती पर वापिस आएंगे.
सुनीता विलियम्स के स्पेस स्टेशन में फंसे होने की वजह से इन दिनों इंटरनेट पर स्पेस स्टेशन और एस्ट्रोनॉट्स से जुड़ी कई खबरें और बातें चल रही हैं. ऐसे में सोशल मीडिया पर कई यूजर्स लगातार ये सवाल कर रहे हैं कि आखिर जो अंतरिक्ष यात्री स्पेस स्टेशन में रहते हैं वो बिना ग्रैविटी के टॉयलेट का प्रयोग कैसे करते हैं. चलिए आज आपको इसके बारे में विस्तार से बताते हैं.
स्पेस स्टेशन का टॉयलेट
स्पेस स्टेशन में एस्ट्रोनॉट्स के लिए जो टॉयलेट बना होता है वो दिखने में भले ही धरती पर बने टॉयलेट की तरह लगता हो, लेकिन असलियत में ये धरती वाले टॉयलेट से काफी अलग होता है. दरअसल, स्पेस स्टेशन में जो टॉयलेट बने होते हैं वो वैक्यूम टॉयलेट होते हैं. सरल भाषा में अगर इसे समझाएं तो जैसे ही आपके शरीर से मल बाहर निकलता है टॉयलेट में मौजूद एयर प्रेशर उसे तुरंत खींच कर एक टैंक में डाल देता है.
पेशाब कैसे करते हैं एस्ट्रोनॉट्स
मल त्यागने के अलावा एस्ट्रोनॉट्स के लिए स्पेस स्टेशन में एक खास तरह का वैक्यूम पाइप भी होता है जिसकी मदद से वो पेशाब करते हैं. दरअसल, ये एक तरह कुप्पी नुमा वैक्यूम पाइप होता है, जब किसी एस्ट्रोनॉट को पेशाब लगता है तो वह इसी कुप्पी नुमा वैक्यूम पाइप का इस्तेमाल करता है. इस वैक्यूम पाइप में भी एयर का प्रेशर होता है जो पेशाब को तुरंत खींच कर एक टैंक में डाल देता है.
बाद में इसी पेशाब को रिसाइकिल करके पीने लायक पानी बनाया जाता है. अगर आप इन चीजों को देखना चाहते हैं तो नासा की आधिकारिक वेबसाइट पर जा कर देख सकते हैं. इसके अलावा यूट्यूब पर भी इससे जुड़े कई वीडियो मौजूद हैं. वहां जा कर आप देख सकते हैं कि किन तकनीकों का इस्तेमाल कर के एस्ट्रोनॉट्स स्पेस में अपना जीवन आसान बनाते हैं.
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