How Bisleri Became A Brand In India: जब भी हम घर से बाहर जाते हैं, कहीं घूमने जाते हैं या फिर किसी अनजान शहर में जाते हों , अधिकतर हमारी प्यास मिनरल वाटर ही बुझाता है. मिनिरल वॉटर (Mineral Water) का नाम सुनते ही सबसे पहले जुबान पर एक ही ब्रांड का नाम आता है- बिसलेरी (Bisleri). इस ब्रांड की नींव साइनॉर फेलिस बिसलेरी (Felice Bisleri) ने इटली में रखी थी, लेकिन इसकी तरक्की का कनेक्शन भारत से भी जुड़ा. 60 के दशक में इस ब्रांड की भारत में एंट्री हो चुकी थी और यह वो दौर था जब भारत अनाज की कमी से जूझ रहा था और देश के बड़े समूह पारले ग्रुप (Parle) में बंटवारा हो गया था.


ग्रुप से जुड़े चारों भाइयों में एक भाई जयंतीलाल चौहान थे जिन्हे बंटवारे के बाद पारले ग्रुप का सॉफ्ट ड्रिंक का कारोबार मिला. उस समय की सबसे बड़ी समस्या थी कि देश में ज्यादातर लोगों को दो वक्त का खाना जुटाना मुश्किल हो रहा था. ऐसे में सॉफ्ट ड्रिंक की कंपनी को चलाना और भी बड़ी चुनौती बन गया.


बेटे ने लिया था फैसला


जयंतीलाल के तीन बेटे रमेश, मधुकर और प्रकाश में से रमेश चौहान जो कि अमेरिका के मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से इंजीनियरिंग और बिजनेस मैनेजमेंट की पढ़ाई करके लौटे थे, ने सोडा लॉन्च करने का फैसला किया. तब बिसलेरी उच्च और समृद्ध वर्ग के लोगों के लिए कांच की बोतल में मिनरल वॉटर सप्लाई करती थी. रमेश चौहान ने अपने नए प्रोजेक्ट के लिए बिसलेरी को खरीद लिया और 1985 में इसे प्लास्टिक मैटेरियल की बोतलों में बेचा जाने लगा.


प्रीमियम ब्रांड भी नहीं दे पाए बिसलेरी को टक्कर


रमेश चौहाने ने अपने सॉफ्ट ड्रिंक ब्रांड को अमेरिकी कंपनी कोका कोला को बेच पूरा फोकस बिसलेरी पर किया. उन्होंने बिसलेरी की तगड़ी ब्रांडिंग की और इसे सबसे शुद्ध पानी का पर्याय बना दिया. बिसलेरी ने सफलता का कीर्तिमान देख कई कंपनिया मिनरल वॉटर के क्षेत्र में कारोबार करने के लिए आ गईं. 2000 की शुरुआत में ही कोका कोला, पेप्सी और नेस्ले समेत कई कंपनियों के बीच अपना अपना मिनरल वॉटर ब्रांड विकसित करने की होड़ मच गई. नतीजा, मार्केट में एक्वाफिना, बेली और किनले समेत कई मिनरल वॉटर ब्रांड की एंट्री हुई. कईं और प्रीमियम ब्रांड भी मार्केट में उतरे लेकिन उन्हें बिसलेरी जैसी सफलता नहीं मिली.


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