हॉन्गकॉन्ग पूरी दुनिया में अपनी ऊंची इमारत के लिए जाना जाता है. लेकिन बुधवार (26 नवंबर) को हॉन्गकॉन्ग के ताई पो जिले की हाईराइज बिल्डिंग्स में भयानक आग लग गई. इस भयानक आग ने पूरे शहर को हिलाकर रख दिया. ताई पो जिले के 2000 फ्लैट वाले आठ टावर हाउसिंग कॉम्प्लेक्स में लगी इस आग में अब तक 44 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है, जबकि 300 से ज्यादा निवासी अभी भी लापता बताए जा रहे हैं. हॉन्गकॉन्ग में लगी यह आग पिछले 3 दशकों की सबसे गंभीर आग मानी जा रही है. ऐसे में हम आपको बताते हैं कि हॉन्गकॉन्ग की ऊंची इमारत में आग लगने की वजह क्या है और क्या भारत में भी ऐसा हादसा हो सकता है?

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कब और कैसे लगी आग?

हॉन्गकॉन्ग में यह आग बुधवार को वांग फुक कोर्ट नाम की सोसायटी में लगी. इस सोसायटी में 31 मंजिला आठ टावर ब्लॉक है जिनमें करीब 4,600 लोग रहते हैं. बताया जा रहा है कि इमारत में रेनोवेशन का काम चल रहा था और बाहरी हिस्सों पर बांस का मचान लगा हुआ था. वहीं रिपोर्ट के अनुसार आग सबसे पहले इसी मचान में लगी और तेज हवाओं के कारण कुछ ही मिनट में इमारत के ऊपरी हिस्सों तक फैल गई. मचान पर लगी सेफ्टी जाल और प्लास्टिक कवरिंग ने आग को और भड़का दिया. हॉन्गकॉन्ग के दमकल विभाग ने इस आग को इमरजेंसी के लेवल 5 अलार्म की कैटेगरी में रखा जो सबसे गंभीर कैटेगरी है. इस आग की वजह से बिल्डिंग के अंदर तापमान इतना बढ़ गया कि फायरफाइटर को ऊपर की मंजिलों तक पहुंचने में भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ा. वहीं मचान का पिघला हुआ हिस्सा और मलबा लगातार नीचे गिर रहा था जिससे बचाव दल के लिए खतरा बहुत बढ़ गया. इन बिल्डिंग की आग बुझाने के लिए 767 से ज्यादा फायरफाइटर, 128 फायर इंजन और 57 एंबुलेंस मौके पर तैनात की गई थीं.

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क्या है आग फैलने की बड़ी वजह?

शुरुआती जांच में सामने आया है कि आग के तेजी से फैलने का सबसे बड़ा कारण बांस का मचान था. हॉन्गकॉन्ग में सदियों से बांस का मचान निर्माण कार्य में उपयोग होता आया है. क्योंकि यह हल्का, मजबूत और सस्ता होता है लेकिन इसकी सबसे बड़ी कमजोरी इसकी ज्वलनशीलता मानी जाती है. इसके अलावा कुछ अपार्टमेंट की खिड़कियों पर ज्वलनशील पॉलीस्टाइन बोर्ड लगे मिले, जिससे आग और तेजी से फैली. वहीं आग में फंसने वाले कई लोगों के अनुसार रिनोवेशन के कारण उन्होंने अपनी खिड़कियां बंद रखी थी जिस वजह से फायर अलार्म की आवाज सुनाई नहीं दी.

क्या भारत में भी हो सकता है ऐसा हादसा?

भारत में भी बड़े शहरों में 30 से 40 मंजिला इमारतें आम हो चुकी है. एक्सपर्ट्स के अनुसार, ऐसा हादसा भारत में भी हो सकता है. भारत में भी कई ऊंची इमारतों में फायर सेफ्टी ऑडिट समय पर नहीं किया जाता है. फायर अलार्म स्प्रिंकलर और इमरजेंसी एग्जिट ठीक से काम नहीं करते हैं. निर्माण में ज्वलनशील सामग्री का उपयोग होता है और मेंटिनेंस के दौरान सुरक्षा नियमों का पालन नहीं किया जाता है, जिसकी वजह से भारत में भी ऐसा हादसा होने की आशंका है. इसके अलावा पिछले कुछ साल के दौरान मुंबई, दिल्ली और गुरुग्राम जैसे हाई राइजिंग बिल्डिंग में पहले भी बड़े आ हादसे सामने आ चुके हैं.

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