Health Insurance in Hindi: हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी खरीदने का मेन कारण महंगाई के चलते बढ़े हुए बिल से खुद को बचाना है. हालांकि, कैशलेस हेल्थ कार्ड रखने और नेटवर्क अस्पताल की सेवाओं का लाभ उठाने पर भी मेडिकल बिल से संबंधित कुछ लागत पॉलिसीधारक को वहन करनी पड़ती है. इतना ही नहीं कई बार तो हेल्थ इंश्योरेंस होने के बाद पूरा बिल भरना पड़ जाता है. ऐसे में उन्हें किन बातों का ध्यान रखना चाहिए. आइए जानते हैं. 


इन बातों का रखें ध्यान


ऐसा कई बार हो सकता है जब मेडिकल खर्चों के लिए किया जाता दावा हेल्थ इंश्योरेंस स्कीम के कवरेज का हिस्सा नहीं होते हैं. ऐसा तब भी हो सकता है जब बीमा कंपनी बीमाधारक के आवश्यक उपचार के लिए किए गए चिकित्सा खर्च को अनावश्यक मानता हो. यह उन कंपनियों के पॉलिसी में लिखा होता है, जब आप उसे खरीदते हैं. बीमा कंपनियां केवल उन खर्चों के दावों का निपटान करती हैं जिनका उल्लेख पॉलिसी खरीद के समय बीमा धारक के साथ शेयर किए गए पॉलिसी दस्तावेज़ में कवरेज के तहत किया गया है.


सावधानी हटी तो बिल फटी


अधिकांश हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी आमतौर पर अस्पताल में बीमारियों के इलाज के लिए उपयोग की जाने वाली अधिकांश जरूरत की लागत को कवर नहीं करती हैं. ऐसे में अमाउंट पॉलिसीहोल्डर को भरना पड़ जाता है. इसलिए पॉलिसी खरीदते वक्त उसमें मिलने वाले क्लेम बेनिफिट्स के बारे में जरुर पढ़ लेना चाहिए. अगर आपको इंश्योंरेंस के बारे में समझ नहीं आता है तो किसी एक्सपर्ट से इसके बारे में राय ले लें. कोई एक्सपर्ट नहीं मिलता है तो एक बार उससे उन बीमारी के कवरेज के बारे में जरूर पूछ लें जो आपको या आपके फैमिली मेंबर में से किसी को हुआ हो. कई बार आस-पास के लोगों को हुई बीमारी का व्यक्ति शिकार हो जाता है. एक बात का और ध्यान दें कि बीमा लेते समय आपको कोई बीमारी पहले से है तो उसके बारे में डिटेल जानकारी जरुर ले लें. 


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