बकरीद का त्योहार 7 जून को देश में मनाया जाएगा. मुसलमानों में इसे कुर्बानी की त्योहार भी कहा जाता है, क्योंकि इस दिन जानवर की कुर्बानी दी जाती है. वहीं आज से हज यात्रा की शुरुआत हो गई है और हर साल की तरह इस बार भी मुस्लिम श्रद्धालु सऊदी शहर मक्का में हज के लिए इकट्ठे होते हैं. इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार आखिरी महीने जुलहिज्जा की शुरुआत में हज और ईद-उल-अजहा मनाया जाता है. हज की रस्में जुलहिज्जा की 8वीं तारीख से शुरू होती हैं. 

इस्लाम धर्म में ऐसी मान्यता है कि हर मुस्लिम को जो सक्षम हो, उसे कम से कम एक बार जीवन में हज जरूर करना चाहिए. जिन लोगों को नहीं पता है, उनको बता दें कि हज के दौरान भी कुर्बानी का रिवाज होता है. चलिए इस बारे में विस्तार से जानें. 

हज के नियम

हज यात्रा के नियम की बात करें तो इसमें सबसे पहले तवाफ इसके बाद सई किया जाता है. इसके बाद हज यात्री मक्का से मिना नाम की जगह की ओर जाते है और वहां पर रातभर इबादत करते हैं. अगले दिन का रिवाज अराफात होता है. इसके लिए लोग दोपहर से सूर्यास्त कर इबादत करते हैं. इसको हज का सबसे जरूरी रिवाज मानते हैं. इसके बाद वे रमी यानि शैतान को पत्थर मारने के लिए 49 या 70 कंकड़ इकट्ठे करते हैं. तीसरे दिन लोग पत्थर फेंकने के लिए फिर से मीना लौटते हैं और शैतान को पत्थर मारा जाता है. 

कहां से खरीदते हैं बकरा

इसके बाद कुर्बानी की रस्म अदा की जाती है. पहली रमी के बाद हज यात्री कुर्बानी का अनुष्ठान करते हैं. इसमें वे एर बकरी, भेड़ या फिर किसी अन्य जानवर की बलि देते हैं. यह उस घटना को याद करते हैं जब हजरत इब्राहिम अपने बेटे की कुर्बानी के लिए तैयार हुए थे, लेकिन अल्लाह ने उनको एक जानवर दे दिया. इस कुर्बानी के बाद जरूरतमंदों में इसका मांस बांटा जाता है. कुर्बानी के लिए बकरा खरीदने के लिए मक्का और मीना के आसपास के बूथों को इस्लामिक डेवलपमेंट बैंक द्वारा स्थापित किया गया है ताकि बलि देने वाले जानवरों को वध और बांटने के लिए कूपन खरीदने की सुविधा मिल सके.

कुर्बानी के बाद मीट का क्या होता है

हज के दौरान सबसे बड़े जमरत के पत्थर के बाद, मीना या मक्का में कुर्बानी की जा सकती है. कुर्बानी आपकी ओर से आपके एजेंट द्वारा की जा सकती है. इस दौरान ऊंट, गाय, भेड़ और बकरे की बलि दी जाती है. केवल एक व्यक्ति की ओर से एक भेड़ या बकरी का बलिदान किया जा सकता है जबकि, एक गाय या ऊंट को सात लोगों द्वारा साझा किया जा सकता है. बकरी या भेड़ की उम्र कम से कम एक वर्ष होनी चाहिए, गाय दो और ऊंट कम से कम पांच साल. इसके बाद कुर्बानी करने वाले को मांस का एक हिस्सा खाना चाहिए और एक हिस्से को जरूरतमंदों और गरीबों को वितरित किया जाना चाहिए. 

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