Gujarat Cabinet: दिवाली से ठीक पहले गुजरात की राजनीति में बड़ा बदलाव देखने को मिला है. सूत्रों के मुताबिक मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल को छोड़कर उनकी पूरी कैबिनेट ने इस्तीफा दे दिया है. बताया जा रहा है कि मुख्यमंत्री पटेल ने गुरुवार रात 8 बजे सभी मंत्रियों को अपने आवास पर दोबारा बुलाया है. अब नए मंत्रिमंडल का शपथ ग्रहण समारोह कल (शुक्रवार) सुबह 11:30 बजे होगा. आइए इसी क्रम में जान लेते हैं कि आखिर सारे मंत्री एकसाथ इस्तीफा दे दें तो क्या सरकार गिर जाती है, उस दौरान बड़े फैसले कौन लेता है.
क्या सभी मंत्रियों के इस्तीफे से गिर जाती है सरकार?
अगर भारत के किसी राज्य में एक साथ सारे मंत्री इस्तीफा दे दें, तो क्या उस राज्य की सरकार गिर जाएगी? यह सवाल राजनीति और संविधान दोनों के लिहाज से काफी दिलचस्प है. इसका सीधा जवाब है, सिर्फ मंत्रियों के इस्तीफे से सरकार नहीं गिरती, लेकिन अगर मुख्यमंत्री इस्तीफा दे दें, तब सरकार खत्म मानी जाती है. भारत के संविधान में केंद्र और राज्य दोनों स्तरों पर शासन की संरचना लगभग एक जैसी है. जिस तरह केंद्र में प्रधानमंत्री के नेतृत्व में मंत्रिपरिषद होती है, वैसे ही राज्यों में मुख्यमंत्री के नेतृत्व में मंत्रिपरिषद होती है.
कौन लेता है फैसले?
संविधान के अनुच्छेद 164(1) के मुताबिक, राज्यपाल मुख्यमंत्री की नियुक्ति करते हैं और बाकी मंत्रियों की नियुक्ति मुख्यमंत्री की सलाह पर होती है. यानी मंत्रिपरिषद की नींव मुख्यमंत्री पर टिकी होती है. अगर किसी राज्य में सारे मंत्री एक साथ इस्तीफा दे दें, लेकिन मुख्यमंत्री पद पर बने रहें, तो सरकार तकनीकी रूप से गिरती नहीं है. मुख्यमंत्री तब भी पद पर बने रह सकते हैं और राज्यपाल की अनुमति से अस्थायी रूप से शासन चला सकते हैं. वे चाहें तो नए मंत्री नियुक्त कर सकते हैं या पुराने मंत्रियों के इस्तीफे स्वीकार करके उनकी जगह नए चेहरे शामिल कर सकते हैं. ऐसे में प्रशासनिक फैसले मुख्यमंत्री और राज्यपाल की सलाह से चलते रहते हैं.
कब बदल जाता है मामला
लेकिन मामला तब बदल जाता है जब मुख्यमंत्री खुद इस्तीफा दे देते हैं. संविधान के अनुसार, मुख्यमंत्री के इस्तीफे के साथ ही पूरी मंत्रिपरिषद स्वतः समाप्त मानी जाती है. क्योंकि मुख्यमंत्री ही मंत्रिपरिषद के प्रमुख होते हैं और उनका इस्तीफा पूरे कैबिनेट के अस्तित्व को खत्म कर देता है. ऐसी स्थिति में राज्यपाल तत्कालीन सरकार को भंग कर सकते हैं या नई सरकार बनने तक मुख्यमंत्री को कार्यवाहक के रूप में पद पर बनाए रख सकते हैं.
राज्य में राष्ट्रपति शासन
अगर इस्तीफे के बाद कोई दूसरी पार्टी या गठबंधन बहुमत दिखाने में सफल हो जाए, तो राज्यपाल उसे सरकार बनाने का मौका दे सकते हैं. लेकिन अगर कोई भी पार्टी बहुमत साबित नहीं कर पाती है, तो राज्यपाल राज्य में राष्ट्रपति शासन की सिफारिश कर सकते हैं. यह प्रक्रिया संविधान के अनुच्छेद 356 के तहत लागू होती है.
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