भारत एक ऐसा देश है जिसे मंदिरों की भूमि कहा जाता है. यहां हर गली, हर गांव और हर शहर में कोई न कोई मंदिर जरूर मिल जाएगा. लेकिन क्या आपने कभी गौर किया है कि भारत के ज्यादातर प्रसिद्ध देवी मंदिर पहाड़ों की ऊंचाई पर ही क्यों बनाए गए हैं. चाहे जम्मू की वैष्णो देवी हो, गुवाहाटी की कामाख्या मंदिर हो, हरिद्वार की मनसा माता हो या फिर हिमाचल की ज्वाला देवी और नयना देवी हो, ये सभी शक्तिपीठ और देवी मंदिर पहाड़ियों या ऊंची जगहों पर स्थित हैं. यहां तक कि श्रद्धालु लाख कठिनाइयों के बावजूद, पहाड़ चढ़कर देवी के दर्शन करने जाते हैं.ऐसे में चलिए आज जानते हैं कि वैष्णो देवी से लेकर कमाख्या मंदिर तक आखिर ऊंचाई पर मंदिर क्यों बनाए जाते हैं. 

आखिर ऊंचाई पर मंदिर क्यों बनाए जाते हैं?

वैष्णो देवी से लेकर कमाख्या मंदिर तक ऊंचाई पर मंदिर बनाने की वजह अलग-अलग बताई जाती है. हिंदू धर्म के अनुसार, यह पूरी दुनिया पंच तत्वों से बनी है. जिसमें जल, वायु, अग्नि, पृथ्वी और आकाश शामिल है. इन पांच तत्वों के अपने-अपने देवता भी हैं, लेकिन इन सभी से ऊपर मानी जाती माता दुर्गा है. जिन्हें शक्ति का रूप कहा गया है. साथ ही शक्ति सबसे ऊपर और सबसे बड़ी मानी जाती है, इसलिए उनका स्थान भी ऊंचाई पर, पहाड़ों पर ही माना गया है. पहाड़ों को धरती का मुकुट और सिंहासन भी कहा जाता है, और शक्ति उसी मुकुट पर विराजमान रहती हैं. यही वजह है कि देवी मंदिर ऊंचाई पर बनाए जाते हैं.  

वहीं प्राचीन काल में ऋषि-मुनि और तपस्वी लोग अपनी साधना, तप और ध्यान के लिए ऐसे स्थान चुनते थे जहां शांति और एकांत हो, उन्हें पता था कि इंसान धीरे-धीरे सारी मैदानी जमीनों पर बस्तियां बसा लेना, शोर-शराबा बढ़ जाएगा, लेकिन पहाड़ों पर एकांत हमेशा बना रहेगा. इसलिए उन्होंने पहाड़ों को आध्यात्मिक केंद्र के रूप में चुना और वहीं पर मंदिर, आश्रम और साधना केंद्र बनाए. पहाड़ों पर भीड़ कम होती है, शुद्ध हवा और वातावरण मिलता है, ध्यान और जप में मन जल्दी लगता है, वहां का प्राकृतिक सौंदर्य मन को शांति देता है, इन सभी कारणों से देवी के मंदिर ऊंचे स्थानों पर बनाए गए ताकि श्रद्धालु वहां जाकर सिर्फ पूजा ही नहीं, बल्कि शांत एक्सपीरियंस भी कर सकें. 

ऊंचाई पर मंदिर क्यों बनाए जाते हैं वैज्ञानिक कारण?

विज्ञान भी कहता है कि ऊंचाई पर हवा शुद्ध होती है, प्रदूषण कम होता है और शारीरिक बीमारियां कम होती हैं. ऐसे वातावरण में  इंसान का शरीर और मन दोनों एक्टिव और हेल्दी रहते हैं. इसलिए पहाड़ों पर स्थित मंदिरों में जाने से श्रद्धालुओं को फिजिकल और मेंटल शांति दोनों मिलते हैं. देवी मंदिरों का पहाड़ों पर होना सिर्फ धार्मिक मान्यता नहीं है, इसके पीछे कई तार्किक, आध्यात्मिक और वैज्ञानिक कारण भी हैं. जैसे ऊंचाई शक्ति का प्रतीक है, एकांत और शांति साधना के लिए जरूरी है, नेचुरल खूबसूरती मन को फ्रेश करती है और ऊंचाई पर हेल्थ बेहतर होती है. 

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