Animal That Do Not Consume Water Using Mouth: अगर आप कुछ घंटे पानी न पिएं तो गला सूखने लगता है. अगर 2 या 3 दिन न पिएं तो शायद आप बीमार महसूस करने लगेंगे, वहीं, सात या इससे ज्यादा दिन तक पानी न पीने से मरने की स्थिति बन जायेगी. आमतौर पर सभी जीव अपने मुंह से ही खाते और पीते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं दुनिया में एक ऐसा जीव भी है जो मुंह से पानी नहीं पीता है. हैरानी वाली बात तो यह है कि ये जीव पानी में भी रहता है, तब भी मुंह में पानी की एक बूंद तक नहीं लेता. ऐसे में सवाल आता है कि अगर यह जीव मुंह से पानी नहीं पीता है तो फिर कहां से पीता है?

क्या बिना पानी के रहता है जिंदा?

भले ही यह जीव अपने मुंह से पानी नहीं पीता है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि इसे पानी की जरूरत ही नहीं होती और यह बिना पानी के जिंदा रह सकता है. बाकी जीवों की तरह इसे भी पानी की जरूरत होती है, लेकिन इसके पानी को अपनी बॉडी में लेने का तरीका थोड़ा अलग है. पानी पीने के लिए यह अपने मुंह इस्तेमाल नहीं करता है.

ये जीव मुंह से नहीं पीता पानी

दरअसल, यहां बात हो रही है मेंढक की. जी 'हां', मेंढक दुनिया का इकलौता ऐसा जीव है जो पानी पीने के लिए मुंह का इस्तेमाल नहीं करता है. लेकिन अगर यह अपने मुंह से पानी नहीं पीता है तो फिर कैसे पीता है? आइए यह भी जानते हैं.

मेंढक पानी पीने के लिए करते हैं चमड़ी का इस्तेमाल

दरअसल, मेंढक पानी पीने के लिए अपने मुंह का नहीं, बल्कि अपनी चमड़ी का इस्तेमाल करता है. मेंढकों में उनके पेट और जांघ के नीचे ड्रिंकिंग पैच होता है. यहीं से ये पानी सोखते हैं. उनकी चमड़ी का यह हिस्सा सेमी-पर्मियेबल होता है. यानी यह अपने में से कुछ चीजों को आर-पार होने देता है. इंसानों में भी ऐसे हिस्से होते हैं, जैसे कि किडनी के टिशू सेमी पर्मियेबल होते हैं, ये कुछ तरल पदार्थों को अपने में से पास होने देते हैं और गंदगी को छान देते हैं. आसान भाषा में कहें तो यह एक तरह से छन्नी का काम करता है. मेंढक इसी के जरिए पानी सोखते हैं.

ऑसमोसिस की प्रक्रिया

इस प्रक्रिया को ऑसमोसिस (Osmosis in frogs) कहा जाता है. यह वही प्रक्रिया है, जिसके जरिए पेड़-पौधे मिट्टी में मौजूद पानी को अपनी जड़ों से सोखते हैं. 

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