First British Fort: जब ब्रिटिश पहली बार व्यापारी के तौर पर भारतीय जमीन पर आए तो उन्हें जहाज और कॉन्ट्रैक्ट से ज्यादा कुछ चाहिए था. उन्हें चाहिए था एक मजबूत ठिकाना. उन्होंने यह ठिकाना फोर्ट सेंट जॉर्ज को बनाया. यह भारत में ब्रिटिशों द्वारा बनाई गई पहली पक्की इमारत थी. 17वीं सदी में कोरोमंडल तट पर बना यह किला सिर्फ व्यापार की रक्षा नहीं करता था बल्कि उसने भारत में ब्रिटिश राजनीतिक सत्ता की नींव रखी और आखिरकार उस शहर को जन्म दिया जिसे अब चेन्नई के नाम से पहचाना जाता है.
फोर्ट सेंट जॉर्ज कैसे और क्यों बनाया गया?
इस किले को ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने 1640 में पूरा किया था. इसकी नींव 1 साल पहले 1639 में रखी गई थी. उस समय ब्रिटिश पूर्वी तट पर अपने व्यापार हितों को सुरक्षित करना चाहते थे. यह किला एक मामूली किले बंद गोदाम के रूप में शुरू हुआ लेकिन जल्दी ही एक पूरे सैन्य और प्रशासनिक केंद्र में बदल गया. इसका नाम इंग्लैंड के संरक्षक संत, सेंट जॉर्ज के नाम पर रखा गया था. ऐसा इसलिए क्योंकि इसका काम 23 अप्रैल को सेंट जॉर्ज दिवस के आसपास के समारोह के साथ पूरा हुआ था.
सेंट मैरी चर्च
इस किले के अंदर सेंट मैरी चर्च है जिसे 1680 में बनाया गया था. यह भारत का सबसे पुराना जीवित एंग्लिकन चर्च माना जाता है. रॉबर्ट क्लाइव और एलीहू येल जैसे ब्रिटिश हस्तियों, जिनके नाम पर येल यूनिवर्सिटी का नाम रखा गया है, की शादी यहीं पर हुई थी. इस चर्च की छत को बम प्रूफ बनाया गया था.
मजबूत रक्षा योजना के साथ हुआ था निर्माण
फोर्ट सेंट जॉर्ज को मजबूत रक्षा योजना के साथ बनाया गया था. इसकी बाहरी दीवारों लगभग 6 मीटर ऊंची है और इन्होंने 18वीं सदी में फ्रांसीसी हमले के साथ कई बड़े हमलों को सफलतापूर्वक झेला. आज इसकी सबसे खास विशेषताओं में से एक है इसका डेढ़ सौ फीट ऊंचा सागौन की लकड़ी का झंडा. यह भारत के सबसे ऊंचा झंडो में से एक है.
अपने निर्माण के 380 से ज्यादा सालों के बाद भी फोर्ट सेंट जॉर्ज आज भी ज्यों का त्यों खड़ा है. अब यह एक सरकारी परिसर, एक संरक्षित विरासत स्थल और एक म्यूजियम के रूप में काम करता है. यह भारत की औपनिवेशिक और उत्तर औपनिवेशिक यात्रा के सबसे स्थायी प्रतीकों में से एक है.
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