FIR Against Judge: देश में इस वक्त दिल्ली हाई कोर्ट के जज यशवंत वर्मा का मामला गरमाया हुआ है. जब मुख्य न्यायधीश डीके उपाध्याय ने CJI संजीव खन्ना को जज यशवंत वर्मा के घर में लगी आग की रिपोर्ट सौंपी, तो इसमें उनके घर से अधजली हालत में करेंसी मिलने का जिक्र हुआ है. हालांकि जस्टिस वर्मा ने पैसे मिलने की बात को नकार दिया साथ ही कहा कि उनको इस बात की जानकारी ही नहीं थी कि उनके स्टोररूम में नकदी पड़ी थी. उन्होंने सीधा कहा कि हमें न तो जली हुई मुद्रा की कोई बोरी दिखाई गई और न ही सौंपी गई. हालांकि यह पहली बार नहीं है जब किसी जज पर भ्रष्टाचार का आरोप लगा हो. चलिए आपको यह बताएं कि पहली बार हाईकोर्ट के किस जज के खिलाफ FIR दर्ज हुई थी.
एसएन शुक्ला पर लगे थे भ्रष्टाचार के आरोप
इलाहाबाद हाई कोर्ट के जज रहने के दौरान सीबीआई ने जस्टिस एसएन शुक्ला के खिलाफ साल 2019 में दिसंबर में भ्रष्टाचार का मामला दर्ज किया था. उन पर आरोप लगा था कि पैसों के लिए उन्होंने लखनऊ के एक मेडिकल कॉलेज को अनुकूल आदेश पारित करके मदद की थी. ऐसे में उस वक्त सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायधीश रंजन गोगोई ने सीबीआई को हाई कोर्ट के सिटिंग जज एसएन शुक्ला के खिलाफ प्रिवेंशन ऑफ करेप्श एक्ट के तहत केस दर्ज करने की अनुमति दी थी. यह इतिहास में पहली बार था जब सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के जज को लेकर सीबीआई को केस दर्ज करने की अनुमति दी थी.
क्या है पूरा मामला
दरअसल यह पूरा मामला कानपुर रोड स्थित प्रसाद इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज से जुड़ा हुआ है. यह सपा नेता बीपी यादव और पलाश यादव का है. साल 2017 में मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया ने जब यहां का दौरा किया तो पाया कि बुनियादी सुविधाएं ठीक नहीं हैं. मेडिकल की पढ़ाई के भी पूरे मानक नहीं थे. इसके बाद आदेश मिला कि प्रसाद इंस्टीट्यूट समेत देश के 46 मेडिकल कॉलेजों में मानक पूरे न होने पर रोक लगा दी जाए, और रोक लगा दी गई.
जस्टिस एसएन शुक्ला की बेंच ने सुनाया था फैसला
इसके बाद प्रसाद इंस्टीट्यूट ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया, लेकिन तत्कालीन चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की बेंच ने मेडिकल कॉलेजों को राहत नहीं दी थी. इसके बाद उन्होंने इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दर्ज की. इसकी सुनवाई जस्टिस एसएन शुक्ला की बेंच ने की थी. जस्टिस एसएन शुक्ला ने प्रसाद इंस्टीट्यूट को नए प्रवेश लेने पर अनुमति दे दी. इसके बाद तो बाकी के मेडिकल कॉलेजों में हड़कंप मच गया और जस्टिस एसएन शुक्ला के खिलाफ लगाम कसनी शुरू हो गई.