आज दुनिया में आधुनिक हथियार बनाने और खरीदने की होड़ मची हुई है. 6th जनरेशन के फाइटर जेट आ चुके हैं, मिसाइलें इतनी आधुनिक हो चुकी हैं कि पृथ्वी के एक छोर पर बैठकर दूसरे छोर को आसानी से निशाना बनाया जा सकता है. ऐसे में जब हम सुनते हैं कि किसी देश में सेना तीर और कमान यूज करती है तो यह अपने आप में काफी अजीब सा लगता है कि आखिर वह देश इतना पीछे क्यों है कि उसे तीर और कमान चलाना पड़ रहा है. चलिए, आपको उस देश के बारे में विस्तार से बताते हैं और यह भी बताते हैं कि आखिर उस देश की सेना क्यों आज भी तीर और कमान चलाती है. 

इन देशों में सेना यूज करती है तीर और कमान

एक रिपोर्ट के अनुसार,  ताइवान की सेना में तीरंदाजों की एक यूनिट है जिसको  Taiwan's (ROC) Mountain Company कहा जाता है. सेना की यह यूनिट घने जंगल, भारी अंडरब्रश और पर्वतीय क्षेत्र में तैनात की जाती है. इनका काम इन क्षेत्रों में घात लगाकर दुश्मनों पर हमला करना होता है या फिर मार कर तेजी से पीछे हटना होता है. चीन में भी  तीरंदाजों का यूज किया जाता है खासकर लोगों पर दमन करने या फिर बॉर्डर के इलाकों में मिशन के लिए. वियतनाम में अमेरिका और वियतनाम युद्ध के दौरान अमेरिका के लिए काम करने वाले Montagnards कम्युनिस्ट गोरिल्ला फोर्स के खिलाफ तीर-कमान का इस्तेमाल करते थे. 

कितना कारगर है तीर-कमान हथियार 

आज के जमाने में जहां आधुनिक हथियारों की होड़ लगी है वहां कुछ विशेष स्थितियों और क्षेत्रों में तीर-कमान सीमित रूप से प्रभावी हो सकते हैं. जैसे कि अगर गुप्त मिशन और जंगलों में ऑपरेशन करने हैं तो वहां घात लगाकर बिना शोर मचाए इनसे दुश्मनों पर निशाना साधा जा सकता है. लेकिन ये मॉडर्न बैटलफील्ड जैसे कि ऑटोमैटिक गन, ड्रोन, मिसाइल और नाइट विजन जैसे तकनीक के सामने कारगर नहीं साबित होने वाले. आज सेना के जवान बुलेटप्रूफ जैकेट और हेलमेट पहनते हैं उनपर तीर का असर नहीं होने वाला. ऐसे में कहा जाता सकता है कि आधुनिक जंग में तीर और कमान पहले जितना प्रभावी नहीं होने वाला है. 

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