Electoral Bonds: चुनाव नजदीक आते ही एक बार फिर इलेक्टोरल बॉन्ड का मुद्दा गरमा गया है. इस मामले को लेकर केंद्र सरकार की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में कहा गया है कि लोगों को ये जानने का अधिकार नहीं है कि राजनीतिक दलों को पैसा कहां से आता है. फिलहाल सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई चल रही है. इसी बीच हम आपको ये बता रहे हैं कि चुनावी चंदा कैसे दिया जाता है और इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदने का प्रोसेस क्या है. 


क्या है इलेक्टोरल बॉन्ड?
सबसे पहले ये जान लेते हैं कि आखिर इलेक्टोरल बॉन्ड क्या होते हैं. दरअसल ये चुनावी चंदा देने का तरीका है. यानी अगर आप अपनी पसंदीदा राजनीतिक पार्टी को चंदा देना चाहते हैं तो आप इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए दे सकते हैं. इस बॉन्ड को सिर्फ राजनीतिक दलों के लिए ही जारी किया जाता है. बॉन्ड खरीदने के बाद आपको राजनीतिक पार्टी को इसे देना होता है, बॉन्ड जारी होने के 15 दिन तक ही वैलिड होता है. यानी 15 दिनों के बाद बॉन्ड कैंसिल हो जाएगा. 


कहां से खरीद सकते हैं?
अब उस सवाल का जवाब देते हैं कि राजनीतिक चंदा देने के लिए इलेक्टोरल बॉन्ड कहां से खरीदे जा सकते हैं? आप स्टेट बैंक की चुनिंदा शाखाओं से ऐसे बॉन्ड जारी करवा सकते हैं. आप एक हजार, 10 हजार, एक लाख, 10 लाख और 1 करोड़ के इलेक्टोरल बॉन्ड खरीद सकते हैं. कोई भी व्यक्ति, समूह या फिर कंपनी इलेक्टोरल बॉन्ड खरीद सकती है. 


दावा ये किया जाता है कि इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदने वाले या फिर उसे पाने वाली राजनीतिक पार्टी की जानकारी कहीं भी साझा नहीं की जाती है. यानी इस पूरी प्रक्रिया को काफी गुप्त रखा जाता है. यही वजह है कि इलेक्टोरल बॉन्ड 2018 के बाद से ही विवादों में है. सुप्रीम कोर्ट इससे पहले ये निर्देश जारी कर चुका है कि सभी दलों को चुनावी चंदे की पूरी जानकारी चुनाव आयोग को सौंपनी होगी.