Pan India Sir: बिहार के बाद अब देशभर में SIR यानि मतदाता सूची के विशेष सघन पुनरीक्षण का काम कल यानि मंगलवार से शुरू हो सकता है. चुनाव आयोग ने आज देशभर में एसआईआर के एलान के लिए बैठक बुलाई है. एसआईआर (SIR) की शुरुआत के पहले फेज में असम, तमिलनाडु, पुडुचेरी, केरल और पश्चिम बंगाल जैसे राज्य शामिल किए जा रहे हैं. इन राज्यों में अगले साल विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. इनके अलावा शुरुआती चरण में उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में भी यह प्रक्रिया शुरू किए जाने की संभावना जताई जा रही है. 

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चुनाव आयोग के वरिष्ठ अधिकारियों के अनुसार, उन सभी राज्यों में एसआईआर का काम प्राथमिकता से शुरू किया जाएगा, जहां 2026 में विधानसभा चुनाव प्रस्तावित हैं. आइए जानें कि इसके लिए कौन-कौन से डॉक्यूमेंट्स तैयार किए जाएंगे. 

कुल 12 कागजात की होगी जरूरत

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एसआईआर प्रक्रिया के दौरान लोगों को अपनी पहचान और नागरिकता साबित करने के लिए जरूरी दस्तावेज जमा करने होंगे. इसके लिए चुनाव आयोग ने कुल 12 दस्तावेजों की सूची तय की है, जो बिहार मॉडल के समान होगी. पहले इन दस्तावेजों में से 11 की लिस्ट आयोग जारी कर चुका था, लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद आधार कार्ड को भी इसमें शामिल कर लिया गया है. हालांकि यह साफ किया गया है कि आधार को केवल पहचान पत्र के तौर पर स्वीकार किया जाएगा, नागरिकता प्रमाण के रूप में नहीं.

कौन से दस्तावेज दिखाने होंगे

इन 12 दस्तावेजों में पहचान, पते और नागरिकता से जुड़े कागजात शामिल हैं. पहचान के प्रमाण के लिए आधार कार्ड, वोटर आईडी, पासपोर्ट, ड्राइविंग लाइसेंस, पैन कार्ड, राशन कार्ड, निवास प्रमाण पत्र, बिजली-पानी या गैस का बिल, बैंक पासबुक, मनरेगा जॉब कार्ड और 2002 की वोटर लिस्ट की प्रति को मान्य दस्तावेज माना जाएगा. ये सभी कागजात व्यक्ति की पहचान और स्थायी पते की पुष्टि के लिए जरूरी होंगे.

इन कागजों से साबित होगी नागरिकता

वहीं, नागरिकता साबित करने के लिए दस्तावेजों में जन्म प्रमाण पत्र, स्कूल लीविंग सर्टिफिकेट, या 2002 की वोटर लिस्ट में माता-पिता के नाम का सबूत देना होगा. जिन लोगों के नाम 2002 की वोटर लिस्ट में पहले से मौजूद हैं, उन्हें केवल गणना फॉर्म के साथ उस लिस्ट की प्रति जमा करनी होगी, उन्हें किसी अन्य दस्तावेज की आवश्यकता नहीं पड़ेगी. लेकिन अगर किसी व्यक्ति का नाम 2002 की लिस्ट में नहीं है, जबकि उसके माता-पिता का नाम मौजूद है, तो उसे अपने आईडी प्रूफ के साथ-साथ 2002 की लिस्ट में दर्ज माता-पिता के नाम का प्रमाण भी प्रस्तुत करना होगा. यह प्रमाण यह दिखाने के लिए होगा कि संबंधित व्यक्ति उसी परिवार या नागरिकता श्रेणी से जुड़ा है.

आधार नहीं है नागरिकता का प्रमाण

चुनाव आयोग का उद्देश्य इस प्रक्रिया के जरिए मतदाता सूची को अधिक पारदर्शी और सटीक बनाना है ताकि फर्जी या दोहरी एंट्री को खत्म किया जा सके. इसके तहत हर व्यक्ति की पहचान और नागरिकता का सत्यापन सुनिश्चित किया जाएगा, लेकिन किसी को सिर्फ आधार के आधार पर भारतीय नागरिक नहीं माना जाएगा.

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