Special Intensive Revision: भारत निर्वाचन आयोग आज विशेष गहन पुनरीक्षण (स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन) के पहले चरण की तारीखों की घोषणा कर सकता है. इसके लिए शाम 4:15 पर मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार के नेतृत्व में एक प्रेस कांफ्रेंस आयोजित की जा रही है. रिपोर्ट्स के मुताबिक इस चरण में 10 से 15 राज्य शामिल होंगे. खास कर वे राज्य जिनमें आने वाले समय में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. जैसे पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, असम, केरल और पुडुचेरी. इसी बीच आइए जानते हैं क्या पाकिस्तान में भी विशेष गहन पुनरीक्षण प्रकिया की जाती है या फिर नहीं. 

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पाकिस्तान में मतदाता पंजीकरण कैसे काम करता है 

भारत की ही तरह पाकिस्तान में भी मतदाता पंजीकरण और पहचान के लिए दस्तावेज आधारित प्रणाली का इस्तेमाल किया जाता है. इसके लिए जरूरी दस्तावेज कंप्यूटरीकृत राष्ट्रीय पहचान पत्र है. इसे नेशनल डेटाबेस एंड रजिस्ट्रेशन अथॉरिटी ने जारी किया है. आपको बता दें कि पाकिस्तान में 18 साल या फिर उससे ज्यादा आयु का हर नागरिक मतदाता के रूप में पंजीकरण करा सकता है. बस इसमें शर्त यह है कि वह स्वस्थ दिमाग का हो और उसके पास वैध कंप्यूटरीकृत राष्ट्रीय पहचान पत्र हो. पंजीकरण के समय व्यक्ति को अपना स्थायी या फिर अस्थायी पता देना होता है जिसका इस्तेमाल उसके निर्वाचन क्षेत्र का निर्धारण करने के लिए किया जाता है. पाकिस्तान में मतदाता सूची सीधे राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर से जुड़ी हुई होती है जिसमें हर पंजीकृत व्यक्ति का बायोमैट्रिक डाटा होता है. 

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क्या होती है प्रकिया

सबसे पहले नागरिक पंजीकरण के लिए अपने कंप्यूटरीकृत राष्ट्रीय पहचान पत्र के साथ नेशनल डेटाबेस एंड रजिस्ट्रेशन अथॉरिटी या फिर चुनाव आयोग के क्षेत्रीय कार्यालय पर जाते हैं. इसके बाद प्रमाणिकता को सुनिश्चित करने के लिए कंप्यूटरीकृत राष्ट्रीय पहचान पत्र की सभी जानकारी का नेशनल डेटाबेस एंड रजिस्ट्रेशन अथॉरिटी के बायोमेट्रिक डेटाबेस के साथ सत्यापन किया जाता है. 

कंप्यूटरीकृत राष्ट्रीय पहचान पत्र पर मतदाता का पता उसके मतदान केंद्र और निर्वाचन क्षेत्र का निर्धारण करता है. आखिरी सूचियों को चुनावों से पहले समय पर अपडेट किया जाता है, जैसे भारत में विशेष गहन पुनरीक्षण के तहत मतदाता सूची संशोधन के साथ होता है. 

भारत और पाकिस्तान के बीच समानताएं और अंतर 

दोनों देश एक मजबूत दस्तावेज आधारित मतदाता प्रणाली का इस्तेमाल करते हैं. लेकिन दोनों देशों के बीच सत्यापन के तरीके थोड़े अलग हैं. भारत में चुनाव आयोग सत्यापन के लिए कई दस्तावेजों को स्वीकार करता है. जैसे मतदाता पहचान पत्र, आधार कार्ड और 11 बाकी निर्धारित दस्तावेज. भारत की एसआईआर प्रक्रिया इस बात को सुनिश्चित करती है कि नए मतदाता जोड़े जाएं और मतदाता सूचियों में गलती या फिर डुप्लीकेट को ठीक किया जाए. 

वहीं पाकिस्तान में कंप्यूटरीकृत राष्ट्रीय पहचान पत्र मतदाता पहचान के लिए एकमात्र और जरूरी प्रमाण के रूप में काम करता है. नेशनल डेटाबेस एंड रजिस्ट्रेशन अथॉरिटी के बायोमेट्रिक डेटाबेस का एकीकरण पाकिस्तान की सत्यापन प्रणाली को काफी ज्यादा मजबूत बनाता है.

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