1x Betting Case: एनफोर्समेंट डायरेक्टोरेट ने 1xBet ऑनलाइन बेटिंग ऐप मामले में अपनी कार्रवाई को तेज कर दिया है. ईडी ने जाने माने क्रिकेटरों और फिल्मी हस्तियों की करोड़ों रुपए की संपत्ति अटैच की है. इस कार्रवाई में युवराज सिंह, रोबिन उथप्पा, सोनू सूद, उर्वशी रौतेला, मिमी चक्रवर्ती, अंकुश हजारा और नेहा शर्मा जैसे नाम सामने आए हैं. इसी बीच एक सवाल उठ रहा है कि क्या ईडी सच में इन अटैच की गई संपत्तियों को बेच सकती है या नहीं. आइए जानते हैं क्या है इस सवाल का जवाब.

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किसकी कितनी संपत्ति अटैच 

ताजा कार्रवाई में ईडी ने 7.93 करोड़ रुपए की संपत्ति अस्थाई रूप से अटैच की है. आधिकारिक जानकारी के मुताबिक युवराज सिंह से जुड़ी ₹2.5 करोड़, रोबिन उथप्पा की ₹8.6 लाख, सोनू सूद की ₹1 करोड़ और उर्वशी रौतेला से जुड़ी ₹2.02 करोड़ की संपत्ति (इनकी मां के नाम पर) अटैच की गई है. इसके अलावा मिमी चक्रवर्ती की ₹59 लाख, अंकुश हजारा की ₹47.20 लाख और नेहा शर्मा की ₹1.26 करोड़ की संपत्ति भी अटैच की गई है.

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इस मामले में यह पहली कार्रवाई नहीं है. इससे पहले ईडी ने शिखर धवन से जुड़ी ₹4.55 करोड़ और सुरेश रैना से जुड़ी ₹6.64 करोड़ की संपत्ति भी अटैच की थी. ताजा कार्रवाई के साथ अब इस मामले में अटैच की गई संपत्तियों का कुल मूल्य 19 करोड़ से ज्यादा हो गया है.

क्या होता है अटैचमेंट का मतलब

एक सबसे जरूरी बात यह है कि अटैचमेंट का मतलब जब्ती नहीं होता. मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम की धारा 5 के तहत ईडी को अगर शक हो कि संपत्ति मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़ी है तो वह किसी भी संपत्ति को 180 दिनों तक अस्थाई रूप से अटैच कर सकती है. इस दौरान मालिक तकनीकी रूप से प्रॉपर्टी का मालिक बना रहता है और उसका इस्तेमाल जारी रख सकता है. लेकिन उसे बेच, ट्रांसफर या गिरवी नहीं रख सकता.

इसी के साथ प्रोविजनल अटैचमेंट तब तक फाइनल नहीं होती जब तक कि उसे मंजूरी न मिल जाए. 180 दिनों की अवधि के अंदर ईडी को मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम के तहत मामले को निर्णायक प्राधिकरण के सामने रखना होता है. अगर प्राधिकरण सबूतों की जांच के बाद अटैचमेंट की पुष्टि कर देता है तो ईडी प्रॉपर्टी पर फिजिकल कब्जा कर सकती है. अगर अटैचमेंट की पुष्टि नहीं होती तो प्रॉपर्टी को छोड़ना होता है. 

क्या ईडी इन प्रॉपर्टी को बेच या नीलाम कर सकती है 

ईडी जांच या फिर ट्रायल के दौरान अटैच की गई असेट्स को बेच या फिर नीलाम नहीं कर सकती. बिक्री या नीलामी की इजाजत पीएमएलए कोर्ट में ट्रायल खत्म होने के बाद ही मिलती है. ऐसा तभी होता है जब कोर्ट यह फैसला दे कि प्रॉपर्टी सच में अपराध की कमाई है. अगर आरोपी दोषी ठहराया जाता है तो अटैच  की गई असेट्स को सरकार औपचारिक रूप से जब्त कर लेती है. नीलामी के बाद मिलने वाली रकम को सरकारी खजाने में डाल दिया जाता है.

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