हमारी दैनिक दिनचर्या दिन के 24 घंटे के हिसाब से चलती है. सुबह उठने से लेकर रात के खाने और सोने तक हर दिन 24 घंटे के हिसाब से निर्धारित होता है. लेकिन अगर कोई आपसे कहे कि कभी दिन 24 घंटे नहीं बल्कि 21 घंटे का होता था, तो सबसे पहला ख्याल दिमाग में यही आता है कि कई बार दिन के सारे काम करने के लिए 24 घंटे का भी वक्त कम पड़ता है, ऐसे में लोग 21 घंटे में चीजें कैसे मैनेज करते थे. लेकिन यह सच है कि एक वक्त पर दिन 21 घंटे का ही हुआ करता था. साइंस की एक स्टडी है, जिसमें यह पता चला है कि करीब 60 करोड़ दिन पहले 21 घंटे का ही हुआ करता था. चलिए इस स्टडी को विस्तार से जानें.
धीमी हो रही रोटेशन स्पीड
एक दिन में 24 घंटे होते हैं, यानि कि 86,400 सेकेंडस. एक दिन के 24 घंटे का वक्त वो समय होता है, जब धरती को एक बार घूमने में समय लगता है. लेकिन आपको पता है कि धरती एक समान रूप से नहीं घूमती है, बल्कि उसके घूमने की स्पीड बदलती रहती है. आमतौर पर धीरे-धीरे धरती के रोटेशन की स्पीड धीमी हो रही है. इस वजह से एक दिन की लंबाई औसत प्रति शताब्दी लगभग 1.8 मिलीसेकेंड बढ़ती जाती है. इस हिसाब से देखा जाए तो 60 करोड़ साल पहले दिन 21 घंटे का होता है.
आखिर क्यों आया बदलाव
धरती के घूमने की रफ्तार में बदलाव कई वजहों से आया है. चांद और सूरज का ज्वारीय प्रभाव यानि टाइडल इफेक्ट धरती के घूमने की रफ्तार को कम कर देता है. इसके अलावा धरती के कोर और मेंटल के बीच का घर्षण, समुद्र के पानी का वितरण, ग्लेशियर का पिघलना इन सब वजहों से भी इसकी रफ्तार पर असर पड़ता है. यही सब मिलकर दिन की लंबाई को बदलते हैं.
कितने साल पहले 21 घंटे का होता था दिन
साइंस की एक रिसर्च कहती है कि आज से करीब 60 करोड़ साल पहले धरती तेज स्पीड से घूमती थी और इसी वजह से उसके घूमने की रफ्तार 21 घंटे के हिसाब से थी. इस हिसाब से उस वक्त धरती को अपनी धुरी पर चक्कर लगाने में कम समय लगता था. वैज्ञानिकों ने जीवाश्मों और प्राचीन चट्टानों के अध्ययन से इस बात का पता लगाया है कि हर सदी में धरती के घूमने की रफ्तार 1.8 मिलीसेकेंड धीमी हो रही है, यही वजह है कि दिन लंबे हो रहे हैं.
2020 में आई रिपोर्ट क्या कहती है
साल 2020 में वैज्ञानिकों ने एक चौंकाने वाली खोज की थी. इस रिपोर्ट में खुलासा हुआ था कि धरती के घूमने की रफ्तार कम होने की बजाय बढ़ रही है. अब धरती पिछले 50 सालों की तुलना में ज्यादा तेजी से घूम रही है. पहले रिसर्च में इस बात का खुलासा होता था कि धरती का रोटेशन धीमे हो रहा है, लेकिन अब सामने आ रहा है कि यह रोटेशन बढ़ता जा रहा है.
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