दुनियाभर के मुसलमानों के लिए सबसे पवित्र स्थल सऊदी अरब के मक्का शहर में काबा को माना जाता है. लेकिन क्या आप ये जानते हैं कि दुनियाभर के इस्लाम मानने वाले मुसलमान किस मैदान में पहुंचकर अपनी माफी मांगते हैं. आज हम आपको उस मैदान के बारे में बताएंगे.
हज यात्रा
इस्लाम के पांच स्तंभों में हज यात्रा शामिल है. हर साल दुनियाभर के मुसलमान हज के लिए सऊदी अरब जाते हैं. इस्लाम में हज यात्रा प्राचीन समय से ही काफ़ी अहम है. इस्लाम के मुताबिक सभी स्वस्थ और आर्थिक रूप से सक्षम मुसलमानों से उम्मीद की जाती है कि वो जीवन में एक बार हज यात्रा पर जरूर जाएं. इतना ही नहीं ये भी कहा जाता है कि हज यात्रा करने वालों के पिछले सभी गुनाह माफ हो जाते हैं.
कौन से हैं हैं इस्लाम के पांच स्तंभ
अब सवाल ये है कि इस्लाम में पांच स्तंभ कौन-कौन से हैं.
पहला तौहीद- इसमें कहा जाता है कि एक अल्लाह और मोहम्मद उनके भेजे हुए दूत हैं, इसमें हर मुसलमान का विश्वास होना चाहिए.नमाज़ – हर मुसलमान को दिन में पाँच बार नियम से नमाज़ अदा करना चाहिए.रोज़ा - इसके अलावा हर इस्लाम मानने वाले को रमज़ान के दौरान रोजा यानी उपवास रखना होता है.ज़कात- इस्लाम में कहा जाता है कि ग़रीबों और ज़रूरतमंद लोगों को दान करने से अल्लाह खुश होते हैं.हज - पांच स्तंभ में हज यात्रा अहम है, हर मुसलमान को अगर मुमकिन है तो साल में एक बार मक्का जरूर जाना चाहिए.
किस मैदान में खड़े होकर मांगते हैं माफी?
बता दें कि आधिकारिक तौर पर हज की शुरुआत इस्लामिक महीने ज़िल-हिज की आठ तारीख़ से होती है. इस दौरान हज यात्रा पर जाने वाले जायरीन आठ तारीख़ को हाजी मक्का से क़रीब 12 किलोमीटर दूर मीना शहर जाते हैं. जानकारी के मुताबिक वहां पर आठ की रात हाजी मीना में गुज़ारते हैं. जिसके बाद अगली सुबह यानी नौ तारीख़ को अराफ़ात के मैदान पहुंचते हैं. इस दौरान जायरीन यानी हज यात्री अराफ़ात के मैदान में खड़े होकर अल्लाह को याद करते हैं. इसी मैदान में खड़े होकर वो अपने गुनाहों की माफ़ी मांगते हैं.
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