जब हम विदेश नीति और कूटनीति की बात करते हैं, तो अलग-अलग देशों के राजदूतों और दूतावास के कर्मचारियों का खास योगदान होता है. वो अपने देश का प्रतिनिधित्व करते हैं और दूसरे देशों के साथ राजनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक संबंधों को मजबूत करने का काम करते हैं. लेकिन सवाल ये उठता है कि राजदूतों को उनकी सैलरी किस करेंसी में मिलती है? क्या वो अपने देश की करेंसी में सैलरी पाते हैं या जिस देश में वे तैनात हैं, उसी की मुद्रा में? चलिए इसका जवाब जान लेते हैं.
यह भी पढ़ें: 2025 में वीकेंड पर आ रहे हैं ये त्योहार और खास दिन, यानी नहीं मिलेगी कोई छुट्टी
राजदूत की सैलरी कितनी होती है?
बता दें कि राजदूतों की सैलरी का निर्धारण उनके देश के सरकार द्वारा किया जाता है, न कि जिस देश में वो तैनात होते हैं वहां की सरकार द्वारा. जैसे भारत में तैनात अमेरिकी राजदूत को उसकी सैलरी अमेरिकी डॉलर में मिलती है, जबकि भारत के राजदूत को उनकी सैलरी भारतीय रुपये में मिलती है.
राजदूतों की सैलरी का भुगतान उनके द्वारा भेजे गए देश के दूतावास और विदेश मंत्रालय द्वारा किया जाता है. यह वेतन देश की सरकार की वित्तीय नीतियों, कूटनीतिक स्थिति और आमतौर पर तय किए गए वेतनमान के आधार पर तय किया जाता है.
यह भी पढ़ें: कंपनियों के अलावा क्या सरकार भी करती है आपके बिजली बिल से कमाई? जान लीजिए जवाब
किस करेंसी में मिलती है राजदूतों को सैलरी?
यदि हम उदाहरण के तौर पर अमेरिकी राजदूत की बात करें, तो वो जिस देश में तैनात होते हैं, जैसे भारत, उनके वेतन का भुगतान अमेरिकी डॉलर में किया जाता है. यह वेतन अमेरिकी सरकार द्वारा तय किए गए नियमों के मुताबिक होता है. अमेरिकी दूतावास के जरिये उस देश में सेवा कर रहे अमेरिकी राजदूतों को डॉलर में सैलरी मिलती है और यह उनके देश की सरकारी नीतियों के अनुसार निर्धारित होता है. वहीं भारतीय राजदूत को मुद्रा यानी रुपयों में सैलरी दी जाती है. इसका साफ कारण ये है कि भारतीय राजदूत को भारत सरकार जबकि अमेरिकी राजदूत को अमेरिका की सरकार वेतन देती है.
यह भी पढ़ें: राज्य सभा सांसद की सैलरी ज्यादा होती है या लोकसभा सांसद की, जानें दोनों में कितना अंतर?