जाने-माने गीतकार और तर्कवादी जावेद अख्तर और इस्लामिक विद्वान मुफ्ती शुमाइल नदवी के बीच ईश्वर के अस्तित्व को लेकर हुई चर्चा ने सोशल मीडिया पर नई बहस छेड़ दी है. एक मीडिया मंच पर आयोजित इस संवाद में आस्था, तर्क, विज्ञान और नैतिकता जैसे गहरे सवाल उठे. बहस के दौरान मुफ्ती शमाइल नदवी ने दार्शनिक और धार्मिक संदर्भों से जुड़े कुछ ऐसे जटिल शब्दों का प्रयोग किया, जिनका अर्थ जावेद अख्तर भी तुरंत नहीं समझ पाए. इसी पल ने इस चर्चा को खास बना दिया. यह बहस केवल ईश्वर के होने या न होने तक सीमित नहीं रही, बल्कि यह दिखाती है कि जब विचारधाराएं टकराती हैं, तो भाषा और शब्द भी बहस का केंद्र बन जाते हैं. खैर इसी क्रम में आइए जानें कि इन शब्दों का आखिर क्या मतलब है.
ये हैं Does God Exist पर चर्चा में आए कठिन शब्द और उनके आसान अर्थ
Contingent Being
एक ऐसी वस्तु या इंसान का अस्तित्व जो अपने आप नहीं, बल्कि किसी और पर निर्भर होकर मौजूद होता है. जैसे कि कोई इंसान, पेड़ या ग्रह, जिनका होना किसी वजह पर टिका है.
Infinite Regress
किसी न किसी कारण की ऐसी अंतहीन श्रृंखला या सीरीज, जहां हर चीज का कारण कोई और चीज हो, लेकिन शुरुआत कहीं न दिखे. फिलॉसफी में इसे समस्या माना जाता है.
Theism
यह मान्यता कि ईश्वर मौजूद है और वही सृष्टि का निर्माता और संचालक है. अधिकतर धार्मिक लोग इसी विचार में विश्वास रखते हैं.
Atheism
यह विचार है कि ईश्वर का अस्तित्व नहीं है. नास्तिकता में व्यक्ति तर्क और प्रमाण को प्राथमिकता देता है, आस्था को नहीं.
Agnosticism
यह मानना कि ईश्वर है या नहीं, लेकिन यह निश्चित रूप से नहीं कहा जा सकता है. यानी न पूरी तरह आस्था, न पूरा इनकार करना.
Rationalism
ऐसा सोचने का तरीका जिसमें तर्क, लॉजिक और समझ को सबसे ऊपर रखा जाता है. किसी बात को मानने से पहले उसके पीछे कारण खोजे जाते हैं.
Faith vs Reason
आस्था और तर्क के बीच का टकराव है, जिसमें एक पक्ष बिना प्रमाण विश्वास करता है, दूसरा पक्ष प्रमाण और तर्क मांगता है.
Omnipotence
ईश्वर की वह शक्ति जिसमें उसे सर्वशक्तिमान माना जाता है, यानी उसकी उपस्थिति है और वह सब कुछ कर सकता है.
Omniscience
यह एक ऐसी धारणा है कि ईश्वर सर्वज्ञ है, उसे भूत, वर्तमान और भविष्य सब कुछ पता है.
Problem of Evil
यह एक तरह से सवाल है कि अगर ईश्वर अच्छा और शक्तिशाली है, तो दुनिया में बुराई और दुख क्यों हैं.
Free Will
इंसान की अपनी इच्छा से फैसले लेने की आजादी को कहा जाता है. इस दौरान यही तर्क दिया जाता है कि बुराई ईश्वर नहीं, इंसान पैदा करता है.
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