अक्सर माना जाता है की महंगी शराब सस्ती शराब की तुलना में ज्यादा स्मूथ होती है और कम चढ़ती है. लोगों का यह भी मानना है की महंगी वाइन या महंगी वोडका में अल्कोहल की मात्रा कम होती है. इस वजह से पीने वाला जल्दी नशे में नहीं होता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस बात में कितना सच है. नहीं तो चलिए आज हम आपको बताते हैं कि क्या सच में महंगी शराब कम चढ़ती है, क्या इसमें अल्कोहल कम मात्रा में होती है और इसके पीछे का पूरा सच क्या है.

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शराब और उसमें अल्कोहल की मात्रा

दरअसल किसी भी शराब की बोतल का नशा उसकी कीमत से नहीं बल्कि ABV यानी Alcohol By Volume से तय होता है. वहीं मार्केट में मिलने वाली ज्यादातर शराब चाहे वह महंगी हो या सस्ती सभी का ABV 40 प्रतिशत होता है. यानी नशा चढ़ने का आधार कीमत नहीं बल्कि अल्कोहल का प्रतिशत होता है. ऐसे में महंगी शराब से होने वाला नशा भी उसमें पाए जाने वाले अल्कोहल के प्रतिशत पर निर्भर करता है.

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महंगी शराब में कितना होता है अल्कोहल?

शराब का अल्कोहल कंटेंट उसकी कीमत पर नहीं बल्कि बनाई जाने की प्रक्रिया और सामानों पर निर्भर करता है. ऐसे में वाइन में आमतौर पर 11 से 15 प्रतिशत तक अल्कोहल होता है. चाहे वह सस्ती वाइन हो या महंगी वाइन दोनों में ही इसी मात्रा में अल्कोहल होता है. वही महंगी वाइन या स्पिरिट्स का फायदा अक्सर उनके फ्लेवर, क्वालिटी कंट्रोल और पैकेजिंग में दिखाई देता है न कि अल्कोहल स्ट्रैंथ में. महंगी और सस्ती शराब में बड़ा फर्क यह होता है कि महंगी शराब से हैंगओवर कम होता है. दरअसल महंगी शराब में कॉन्जेनर यानी अशुद्धियां कम होती है, इसलिए अगले दिन सिर दर्द, थकान या कमजोरी का असर सस्ती शराब की तुलना में हल्का रहता है. जबकि सस्ती शराब में कॉन्जेनर ज्यादा होते हैं जिनसे सिरदर्द या भारीपन महसूस होता है.

नशा चढ़ने पर असली असर किन चीजों से पड़ता है?

शराब का नशा चढ़ने का असर उसकी कीमत से नहीं बल्कि आपने कितनी शराब पी है, कितनी तेजी से पी है, पेट भरा है या खाली है, शरीर का वजन कितना है और शराब का ABV कितना है इन फैक्टर के आधार पर तय होता है. वहीं महंगी शराब को आमतौर पर धीरे धीरे पी जाती है वहीं इसके साथ खाना नाश्ता भी लिया जाता है. यही वजह है कि इसका नशा अचानक नहीं चढ़ता है.

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