जब भी किसी व्यक्ति को चोट लग जाती है, तो उसे बैंडेज लगा दी जाती है. ऐसे में बहुत कम ही लोग इस बात से वाकिफ होते हैं कि ये बैंडेज उन्हें कैंसर का पेशेंट भी बना सकती है. दरअसल हाल ही में एक रिसर्च में ये खुलासा हुआ है. पट्टियों में कैंसर पैदा करने वाले रसायन होता है. ये रिसर्च 40 अलग-अलग पट्टियों पर 18 ब्रांडों पर की गई है.
बैंडेज में क्या होता है हार्मफुल?
दरअसल घावों को ढंकने के लिए जो बैंडेज लगाई जाती है उनमें विषाक्त मात्रा में पॉलीफ्लोरिनेटेड पदार्थ या पीएफएएस होते हैं. जिन्हें आमतौर पर हमेशा के लिए रसायनों के रूप में जाना जाता है.
नेशनल टॉक्सिकोलॉजी प्रोग्राम की पूर्व प्रमुख डॉ. लिंडा बर्नबॉम, टॉक्सिकोलॉजिस्ट ने हाल ही में जो रिसर्च की है उसमें ये खुलासा हुआ है कि बैंडेज में कॉमन व्हाइट रॉलर को शामिल नहीं किया गया था. इन नए बैंडेज में बैंड-एड और इसी से मिलती-जुलती दूसरी एढेसिव ड्रैसिंग्स को शामिल किया गया था.
रिसर्च टीम के अनुसार, 40 में से 26 ब्रांड्स में पोलीफ्लूरोएल्किल सब्सटांस (PFAS) था, जिन्हें वातावरण और इंसानी शरीर में हमेशा बने रहने के लिए ‘फॉरएवर केमिकल्स’ कहा जाता है.
बैंडेज से कैसे हो सकता है कैंसर?
एक्सपर्स्टस की मानें तो ‘फॉरएवर केमिकल्स’ जिसके बैंडेज में अधिक मात्रा में मिलने की बात कही जा रही है, इन्हें पोलीफ्लूरोएल्किल सब्सटांस (PFAS) भी कहा जाता है. शरीर के संपर्क में आने पर ये केमिकल बॉडी में मौजूद टिश्यू में स्टोर होते रहते हैं, क्योंकि हमारा शरीर इन्हें तोड़ नहीं पाता, इस वजह से ये लंबे समय तक शरीर में मौजूद रहते हैं. यही वजह है कि इन रासायनिक पदार्थों को ‘फॉरएवर केमिकल्स’ कहा जाता है.
दरअसल रिसर्च में पाया गया है कि रोज़ाना बैंडेज का इस्तेमाल करना सेहत के लिए हानिकारक होता है. इस बैंडेज में मौजूद पीएसएस का इस्तेमाल चिपकने वाले पदार्थों में किया जाता है, कई बैंडेज के चिपकने वाले भाग में ये केमिकल्स पाए जाते हैं. रिसर्च की मानें तो बैंडेज में ज़हरीले केमिकल्स का इस्तेमाल वाटरप्रूफ़ गुणों के लिए किया जाता है. स्किन पर पीएफएएस का संपक काफ़ी ख़तरनाक साबित हो सकता है.
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