समंदर के गहरे नीले पानी में दो दुनिया तैरती हैं- एक वो, जो देश की सुरक्षा के लिए हर लहर से लड़ती है, और दूसरी वो, जो दुनिया भर में माल ढोकर करोड़ों की कमाई करती है. इंडियन नेवी और मर्चेंट नेवी, नाम भले मिलते-जुलते लगें, लेकिन दोनों की राहें बिल्कुल अलग हैं. एक में अनुशासन, जोखिम और राष्ट्रसेवा की कसक है, तो दूसरी में पैसा, आराम और इंटरनेशनल लाइफस्टाइल की चमक. सवाल बस इतना है कि कहां है ज्यादा पैसा और कहां मिलती है असली सुरक्षा?
समंदर की दो पहचान, लेकिन मकसद अलग
समुद्री दुनिया देखने में भले एक जैसी लगे, लेकिन इसमें काम करने वाली दोनों नेवियों की जिम्मेदारियां एक-दूसरे से बिल्कुल जुदा हैं. इंडियन नेवी वहां खड़ी होती है, जहां देश के समुद्री बॉर्डर की सुरक्षा दांव पर होती है. इसके जहाज सरकारी स्वामित्व में होते हैं और हर मिशन में राष्ट्रीय हित सबसे ऊपर होता है. इसके खिलाफ मर्चेंट नेवी समंदर को एक बड़ा बिजनेस कॉरिडोर मानती है, जहां जहाज माल ढोते हैं, तेल ले जाते हैं और ग्लोबल ट्रेड का विशाल नेटवर्क संभालते हैं.
ट्रेनिंग से लेकर डिग्री तक
इंडियन नेवी में प्रवेश सिर्फ नौकरी नहीं, बल्कि गौरव का रास्ता है. यहां ट्रेनिंग NDA और INA जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों में होती है, जहां कैंडिडेट्स को बी.टेक डिग्री और सख्त सैन्य अनुशासन दोनों मिलते हैं. दूसरी तरफ मर्चेंट नेवी में कदम रखने के लिए 10+2 में फिजिक्स, केमिस्ट्री और मैथ्स जरूरी हैं. 18 महीने की कड़ी समुद्री ट्रेनिंग के बाद कैडेट जहाजों पर असिस्टेंट ऑफिसर बनते हैं. एक तरफ विज्ञान और इंजीनियरिंग की मजबूती है, तो दूसरी तरफ समुद्री तकनीक और अंतरराष्ट्रीय नियमों की पकड़.
ड्यूटी की अलग रफ्तार
इंडियन नेवी की ड्यूटी बेहद गतिशील होती है. कभी आठ घंटे, कभी बारह घंटे, तो कभी कई दिनों तक बिना रुके लगातार ऑपरेशन चलाना पड़ता है. प्रमोशन टाइम स्केल, अनुभव और प्रतियोगी परीक्षाओं पर निर्भर होता है. वहीं मर्चेंट नेवी में ड्यूटी नियमित होती है, आठ से नौ घंटे की शिफ्ट, बाकी समय आराम करना होता है. प्रमोशन के लिए दो ही पैमाने चलते हैं- समुद्र में बिताया समय और परीक्षा पास करने की क्षमता. जो जितना ज्यादा समुद्र में रहा, उसकी तरक्की उतनी तेज होती है.
लाभ, सुविधाएं और भविष्य
भारतीय नौसेना के फायदे सिर्फ नौकरी तक सीमित नहीं रहते हैं. परिवार को सरकारी आवास, सब्सिडी वाला कैंटीन, फ्री मेडिकल सुविधा और रिटायरमेंट के बाद पेंशन, ये सब इसकी खासियतें हैं. मर्चेंट नेवी में सुविधाएं अंतरराष्ट्रीय संगठनों ILO और ITF की गाइडलाइन पर चलती हैं. जहाज पर बेहतरीन सुविधा, बाहर डॉलरों में सैलरी, और कॉन्ट्रैक्ट खत्म होने के बाद लंबे छुट्टियां इसका बड़ा आकर्षण हैं, लेकिन पेंशन जैसी सुरक्षा इसमें नहीं मिलती है.
किसके खाते में आते हैं लाखों?
कमाई की बात आए तो मर्चेंट नेवी का जलवा आज भी सबसे ऊपर है. यहां शुरुआती कमाई 3 लाख सालाना से शुरू होकर 20.8 लाख या उससे भी ज्यादा तक पहुंचती है. खास बात ये कि यह सैलरी अंतरराष्ट्रीय मानकों पर आधारित होती है, इसलिए टैक्स में भी राहत मिलती है. इंडियन नेवी में सैलरी भारत सरकार तय करती है, जिसमें रैंक, सेवा अवधि और जिम्मेदारी के हिसाब से अच्छा वेतन मिलता है. लेकिन पैसा भले कम लगे, स्थिरता और सुरक्षा इसे मजबूत बनाती है.
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