देश के प्रशासनिक ढांचे को समझने के लिए आपको पहले चुनाव के चरणों को समझना होगा. ऐसे बहुत लोग हैं, जिन्हें नगर पंचायत, नगर पालिका और नगर निगम के बीच अंतर नहीं पता होता है. आज हम आपके इस भ्रम को खत्म करने की कोशिश करेंगे. बता दें कि देश को हर स्तर पर बेहतर चलाने के तरह से चलाने के लिए अलग-अलग व्यवस्था बनाई गई है, यह मुख्य रूप से तीन स्तर पर है.


क्या है ढांचा ?


देश का प्रशासनिक ढांचा 



• केंद्र सरकार
• राज्य सरकार
• स्थानीय प्रशासन


 स्थानीय प्रशासन 


• पंचायती राज (ग्रामीण क्षेत्र) 
• जिला परिषद (जिला स्तर) 
• पंचायत समिति (ब्लॉक स्तर) 
• ग्राम पंचायत (ग्राम स्तर)


 नगर पालिका (शहरी क्षेत्र) 


• नगर निगम 
• नगर परिषद/ नगर पालिका परिषद
• नगर पंचायत


नगर निगम क्या है ?


नगर निगम स्थानीय निकाय व्यवस्था शहरों में होती है, जिनके नाम आप ऊपर पढ़ चुके हैं. जानकारी के मुताबिक इसके लिए शर्त ये होती है कि इनकी जनसंख्या कम से कम 05 लाख होनी चाहिए. नगर निगम क्षेत्रफल के लिहाज से भी काफी बडे़ इलाके को कवर करता है. हर नगर निगम में कई वार्ड होते हैं और हर वार्ड में प्रत्याशी खड़े होते हैं.उन्हें मतदाता वोटिंग के जरिए चुनता है. क्षेत्र से चुने हुए प्रत्याशी पार्षद या सभासद कहलाते हैं. ये पार्षद मिलकर नगर निगम में फैसले लेते हैं, लेकिन हर नगर निगम का प्रमुख मेयर होता है. जिसका चुनाव पार्षद नहीं करते बल्कि सीधे वोटों के जरिए जनता ही करती है. ये नगर निगम का प्रमुख होता है. हर नगर निगम कई तरह के स्थानीय टैक्स के जरिए शहर की व्यवस्थाओं और विकास के कामों को अंजाम देता है. कोई भी फैसला पार्षदों के बहुमत के आधार पर होता है, लेकिन मेयर को कुछ विशेषाधिकार होते हैं, जिसके तहत वह फैसला लेता है.


नगर पालिका


नगर पालिका भी स्थानीय निकाय संस्था है, जो शहर से जुड़े विकास कामों को करती है. ये नगर निगम से जनसंख्या और क्षेत्रफल में छोटा होता है. आमतौर पर छोटे शहरों और कस्बों में नगरपालिकाएं होती हैं. जैसे उदाहरण के लिए यूपी में कुल 199 नगर पालिका हैं. ये भी वार्डों में बंटी होती हैं. ये नगर निगम से छोटा और नगर पंचायत से बड़ा होता है. किसी क्षेत्र में 20 हजार से ज्यादा जनसंख्या होता है, तो वह नगर पालिका में आता है. लेकिन नगर निगम बनने के लिए उसकी जनसंख्या 1-5 लाख के बीच या उससे ज्यादा होनी चाहिए. नगर पालिका के प्रमुख को नगर पालिका अध्यक्ष कहते हैं. उसका चुनाव सीधे जनता करती है. वह प्रशासनिक अध्यक्ष होता है


नगर पंचायत क्या है


नगर पंचायत ऐसा प्रशासनिक ढ़ांचा है, जो गांव से बड़े होते हैं, लेकिन नगर के दर्जे तक नहीं पहुंची होती है. जैसे तहसील या कोई बड़ा कस्बा होता है. ये इलाके भी वार्डों में बंटे होते हैं. वहीं वार्डों से चुनकर आए प्रतिनिधि इसे चलाते हैं. इसमें एक अध्यक्ष और कुछ सदस्य शामिल होते हैं. सदस्यों एवं अध्यक्ष का चुनाव जनता करती है.


पंचायत किस कहते हैं


भारत की पंचायती राज प्रणाली में गाँव या छोटे कस्बे के स्तर पर ग्राम पंचायत या ग्राम सभा होती है, जो भारत के स्थानीय स्वशासन का प्रमुख अंग हैं. सरपंच, ग्राम सभा का चुना हुआ सर्वोच्च प्रतिनिधि होता है. बता दें कि प्राचीन काल से ही देश के सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक जीवन में पंचायत का महत्वपूर्ण स्थान रहा है.


कार्यकाल


सभी स्थानीय निकायों का कार्यकाल 05 साल का होता है. इसमें वार्डों में चुने प्रतिनिधि, महापौर या मेयर, प्रधान, जिला पंचायत सदस्य सभी लोग शामिल हैं. अमूमन अपने देश में जनता द्वारा चुने गए सभी प्रतिनिधियों का कार्यकाल 5 साल का होता है. 


 


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