नॉन-वेज खाने के शौकीन लोग मछली से लेकर मीट तक बड़े चाव से खाते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि मीट भी दो तरह के होते हैं - हलाल और झटका मीट. आपने भी कभी न कभी तो इनका नाम जरूर सुना होगा? दरअसल, इन दोनों तरह के मीट में काफी अंतर होता है. इनके टेस्ट से लेकर बनाने के तरीके तक सब कुछ अलग है. हालांकि, अगर आप झटका और हलाल मीट में अंतर नहीं पता तो चलिए बताते हैं.

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क्या है हलाल और झटका मीट ?

जैसा कि नाम से ही पता चल रहा है कि हलाल और झटका मीट किसी जानवर का मीट नहीं बल्कि मीट को काटने का तरीका है. दरअसल, हलाल शब्द अरबी भाषा से आया है, जिसका मतलब होता है जायज. इस तरीके में जानवर के टुकड़े करने से पहले उसकी गर्दन की नस और सांस लेनी वाली नली को काटकर उसे मारते हैं. फिर खून निकलने का इंतजार करते हैं और जैसे ही वह मर जाता है तो उसके टुकड़े कर दिए जाते हैं. वहीं दूसरी ओर झटका मीट वह मीट होता है, जिसमें जानवर की गर्दन को एक ही झटके में धारदार हथियार से काट दिया जाता है. इस दौरान जानवर को मारने से पहले उसे बेहोश किया जाता है ताकि उसे दर्द महसूस न हो. 

दोनों में क्या होता है अंतर ?

हलाल और झटका मीट में सिर्फ उन्हें मारने का अंतर होता है, बाकी दोनों ही तरीको में जानवर की जान जाती है. साथ ही, झटका मीट में जानवरों को बेहोश करते हैं ताकि उन्हें दर्द कम हो तो वहीं हलाल फूड ऑथोरिटी के मुताबिक किसी भी जानवर को मारने के लिए उसे बेहोश नहीं किया जा सकता है. इसके अलावा माना जाता है कि झटका मीट में ब्लड क्लोटिंग होने से मीट जल्दी खराब हो जाता है जबकि हलाल मीट में ऐसा नहीं होता. 

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कैसे करें पहचान ?

होटल में खाना खाते समय अगर आप भी पता करना चाहते हैं कि आपको कौन सा मीट सर्व किया गया है तो आप इन तरीकों से पता कर सकते हैं.1. आप इसके लिए सर्टिफिकेट चेक कर सकते हैं क्योंकि अधिकतर हलाल मीट रेस्टोरेंट्स हलाल बोर्ड के सर्टिफिकेट को डिस्प्ले करते हैं और नॉन हलाल वाले सर्विंग झटका और नॉन हलाल का बोर्ड लगाते हैं.2. इसके अलावा ज्यादातर मुगलई, मिडिल ईस्टर्न और मुस्लिम क्यूजीन में हलाल मीट इस्तेमाल होता है, जबकि पंजाबी और नॉर्थ इंडियन खाने में झटका मीट होता है. 3. साथ ही, इनकी पहचान आप मीट को देखकर भी कर सकते हैं. अगर मीट फीका और सॉफ्ट है तो हलाल मीट होगा और गाढ़े रंग का और टाइट है तो झटका मीट हो सकता है.

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