Dharmendra Death: बॉलीवुड के मशहूर अभिनेता धर्मेंद्र अब इस दुनिया में नहीं रहे. उनके निधन की खबर ने बॉलीवुड के साथ उनके चाहने वालों को भी चौंका दिया है. बता दें, बीते दिनों सांस लेने में तकलीफ के चलते उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था. कुछ दिन बाद उन्हें छुट्टी भी मिल गई थी, जिसके बाद वह रिकवर कर रहे थे. हालांकि, अचानक निधन की खबर से शोक की लहर दौड़ गई है. 

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धर्मेंद्र को बॉलीवुड का ही-मैन कहा जाता है. उन्होंने अपने करियर में एक से बढ़कर एक सफल फिल्में दी हैं. हर बड़ी एक्ट्रेस के साथ उनकी कोई न कोई फिल्म जरूर रही है, लेकिन फिल्मी दुनिया से इतर बॉलीवुड के वीरू ने राजनीति में भी हाथ आजमाया है. भले ही वो इसमें सफल न रहे हों, लेकिन कुछ समय के लिए वे भी ड्रीम गर्ल की राह पर चले थे. आइए इसके बारे में जानें.

एकतरफा चुनाव जीते थे धर्मेंद्र

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2004 के लोकसभा चुनाव में जब बॉलीवुड के वीरू ने वर्किंग-ओवर-आउट रूट के बजाय चुनाव मैदान में कदम रखा, तो परिणाम रोमांचक भी था और सवाल भी छोड़ गया. धर्मेंद्र ने राजस्थान के बीकानेर से भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़कर एकतरफा जीत हासिल की, पर उनकी राजनीतिक कहानी उतनी सहज नहीं रही जितनी उनकी फिल्मी छवि. वहां की राजनीति में धर्मेंद्र की एंट्री को पूरी तरह फिल्मी अंदाज से पेश किया गया. वरिष्ठ पत्रकार राशिद किदवई की किताब ‘नेता-अभिनेता: बॉलीवुड स्टार पावर इन Indian Politics’ की मानें तो उनके प्रचार के पीछे हेमा मालिनी की सक्रियता एक वजह थी.

हेमा ने भी पति के लिए किया जोरदार प्रचार 

किताब के हवाले से कहा जाता है कि हेमा ने पति के लिए जोरदार प्रचार किया, और उनकी स्टार प्रचारक वाली पहचान ने धर्मेंद्र को आराम से टिकट और जीत दिलाई. लेकिन जीत के साथ ही उम्मीदें और आलोचना भी हुईं. आरोप लगे कि धर्मेंद्र संसद में कम ही जाते थे और सांसद के रूप में उनकी भागीदारी सीमित रही. कुछ ने कहा कि उन्हें सांसद की भूमिका में आत्मसात होने में दिक्कत हुई. 

क्यों बनना चाहते थे तानाशाह?

धर्मेंद्र ने मीडिया से एक इंटरव्यू में अपनी स्थिति बयान करते हुए कहा था कि “मुझे बीजेपी की फिलॉसिफी के बारे में बिल्कुल नहीं पता,लेकिन मुझे सिर्फ इतना पता है कि अगर मैं पांच साल तक तानाशाह होता तो ये सब ‘गंदगी’ साफ कर देता.” यह बयान राजनीतिक हलकों में चर्चित रहा और विपक्ष ने भी इसे भुनाने की कोशिश की. वहीं भाजपा ने उनके कुछ कटाक्षों का बचाव भी किया. किताब के अनुसार धर्मेंद्र ने चुनाव प्रचार को पूरी तरह फिल्मी स्टाइल में चलाया था. उन्होंने साफ कहा था कि अगर वे सांसद बने तो भ्रष्ट लोगों का सफाया करेंगे.

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