Delhi High Court Judge Fire: दिल्ली हाई कोर्ट के जज यशवंत वर्मा के घर आग लगने के बाद वहां से भारी मात्रा में कैश बरामद किया गया है. इस खुलासे के बाद जज का ट्रांसफर कर दिया गया है. लेकिन कुछ जज इस मामले में सिर्फ तबादले की कार्रवाई को ठीक न मानते हुए न्यायमूर्ति वर्मा से इस्तीफे की मांग कर रहे हैं. जजों का कहना है कि अगर वो इस्तीफा देने से मना करें तो CJI उनके खिलाफ 1999 की प्रक्रिया के अनुसाज जांच शुरू कराएं. इस मामले में किसी भी जज के खिलाफ शिकायत मिलने पर जांच कराई जाती है. चलिए जानें कि ऐसे मामलों में कहां और कैसे एक्शन लिया जाता है. 

CJI ने तुरंत लिया सख्त एक्शन

जब आग बुझाने के बाद पुलिसकर्मियों को भारी मात्रा में कैश मिला, तो उन्होंने इसकी जानकारी अपने उच्च अधिकारियों को दी. मामला जब CJI के संज्ञान में आया तो उन्होंने इसे गंभीरता से लेते हुए कॉलेजियम की एक बैठक बुलाई और जज यशवंत वर्मा का तबादला करने का आदेश दे दिया. उनको उनके मूल इलाहाबाद हाई कोर्ट में भेज दिया गया. इस मामले में कुछ जजों का मानना है कि सिर्फ तबादला भर कर देने से न्यायपालिका की छवि खराब होगी. इस केस में जज से इस्तीफा लेना चाहिए और अगर वो इससे इनकार करें तो इन हाउस जांच कराई जानी चाहिए. 

इस तरीके के मामलों में कैसे होती है कार्रवाई

इस तरीके के मामलों में सुप्रीम कोर्ट की 1999 में बनाई गई इन-हाउस प्रक्रिया के तहत कार्रवाई की जाती है. जिसकी मांग बाकी के जज कर रहे हैं. इस प्रक्रिया में न्यायालयों के जजों के खिलाफ गलत काम, अनुचित व्यवहार और भ्रष्टाचार जैसे आरोपों से निपटा जाता है. इस प्रक्रिया के तहत CJI को किसी जज के खिलाफ शिकायत मिलने पर वह उससे जवाब मांगते हैं. 

जांच के आधार पर होता है फैसला

अगर जवाब से CJI संतुष्ट नहीं होते हैं या अगर उनको लगता है कि इस मामले की गंभीर तरीके से जांच की जानी चाहिए तो वह एक इन-हाउस जांच पैनल बनाते हैं. इस पैनल में सुप्रीम कोर्ट के एक न्यायाधीश और हाई कोर्ट के दो मुख्य न्यायाधीश शामिल होते हैं. फिर जांच के नतीजों के अनुसार उनका इस्तीफा मांगा जाता है या फिर महाभियोग चलता है.